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बुंदेलखंड की इस सीट पर जनता का मूड समझने में अच्छे-अच्छे रहे नाकाम, हर चुनाव में दिखा अलग रंग

locationझांसीPublished: Apr 05, 2019 12:30:32 pm

उत्तर प्रदेश मे बुंदेलखंड की हमीरपुर संसदीय सीट के लोगों का मिजाज अलग ही किस्म का रहा है…

Hamirpur Bundelkhand ground report in 2019 Lok Sabha Chunav

बुंदेलखंड की इस सीट पर जनता का मूड समझने में अच्छे-अच्छे रहे नाकाम, हर चुनाव में दिखा अलग रंग

झांसी. उत्तर प्रदेश मे बुंदेलखंड की हमीरपुर संसदीय सीट के लोगों का मिजाज अलग ही किस्म का रहा है। यहां की जनता का मूड समझ पाने में अच्छे-अच्छे राजनीतिक पंडित नाकाम रहे हैं। पिछले तीन लोकसभा चुनावों में तो यहां की जनता ने हर बार बदल-बदलकर दलों और प्रत्याशियों को आजमाया। हर बार संसद में यहां का अलग रंग नजर आया। 2014 में मोदी लहर में यहां भगवा परचम फहराया। इससे पहले 2009 में यहां से बीएसपी के नीले झंडे तले हाथी चिन्ह ने संसद में एंट्री की। इसके अलावा 2004 के चुनाव में यहां से लोगों ने सपाई साइकिल को संसद तक पहुंचाया।
ये रहा है हमीरपुर सीट का ट्रैक रिकार्ड
हमीरपुर संसदीय सीट पर अब तक हुए 16 लोकसभा चुनाव में से छह बार कांग्रेस, चार बार भारतीय जनता पार्टी और दो बार बहुजन समाज पार्टी के सांसदों को चुनकर जनता ने संसद में पहुंचाया। इसके अलावा समाजवादी पार्टी, जनता दल, भारतीय लोकदल और बीजेएस को भी एक-एक बार मौका दिया।
ये जीते कांग्रेस के टिकट पर
हमीरपुर सीट पर 1952 व 1957 में कांग्रेस के लच्छीराम व मन्नूलाल सांसद रहे। इसके बाद फिर 1962 में मन्नू लाल द्विवेदी सांसद बने। 1967 में बीजेएस के स्वामी ब्रह्मानंद ने यह सीट कांग्रेस के मन्नूलाल से छीनकर कांग्रेस को झटका दिया। हालांकि, 1971 के चुनाव में स्वामी ब्रह्मानंद ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और फिर संसद में पहुंचे। इसके बाद 1977 में इस सीट पर भारतीय लोकदल के तेज प्रताप सिंह ने कांग्रेस के स्वामी ब्रह्मानंद को पराजित करके सीट झटक ली। हालांकि, 1980 में यह सीट डूंगर सिंह ने फिर कांग्रेस की झोली में डाल दी। अंतिम बार कांग्रेस ने इस सीट पर 1984 में जीत दर्ज की। तब यहां से स्वामी प्रसाद सिंह चुनाव जीते थे।
1989 से शुरू हुआ बदलाव का दौर, चार बार जीती भाजपा
हमीरपुर सीट पर बदलाव का दौर 1989 के चुनाव से शुरू हुआ। 1989 में तत्कालीन कांग्रेस सांसद स्वामी प्रसाद सिंह को पटकनी देकर गंगाचरण राजपूत ने यहां पर जनता दल का परचम फहराया। इसके बाद 1991 के अलगे ही चुनाव में इस सीट पर भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे झांसी के दवा कारोबारी पं.विश्वनाथ शर्मा ने यह सीट भाजपा की झोली में डाल दी। उन्होंने जनता दल के गंगाचरण राजपूत को पराजित कर यह सीट हासिल ली। फिर 1996 के चुनाव में गंगाचरण राजपूत जनतादल को छोड़कर भाजपा में आए। चुनाव लड़ा और भाजपा से सांसद बने। इसके बाद 1998 में भाजपा के टिकट पर गंगाचरण राजपूत फिर सांसद चुने गए। इसके बाद से यहां पर भाजपा ऐसी बाहर हुई कि फिर जीत के लिए 15 साल इंतजार करना पड़ा। 2014 में मोदी लहर में फिर यहां से भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल चुने गए। अब 2019 एक बार फिर भाजपा ने पुष्पेंद्र सिंह चंदेल पर दांव लगाया है।
ये रहे सपा-बसपा के सांसद
हमीरपुर सीट पर 1999 में का मुकाबला सपा और बसपा के बीच हुआ। इसमें बसपा के अशोक कुमार सिंह चंदेल सांसद बने और सपा के राजनारायण बुधौलिया उर्फ रज्जू महाराज दूसरे नंबर पर रहे। फिर पांच साल बाद 2004 के चुनाव में यह सीट सपा ने बसपा से छीन ली। तब सपा के रज्जू महाराज ने बसपा के अशोक कुमार सिंह चंदेल को हराकर संसद में एंट्री की। हालांकि, 2009 के चुनाव में यह सीट फिर बसपा के खाते में चली गई। 2009 में यहां से बसपा प्रत्याशी के रूप में विजय बहादुर सिंह सांसद बने। दूसरे स्थान पर कांग्रेस के सिद्धगोपाल साहू रहे। 2014 में सपा के विशंभर प्रसाद निषाद से हुए मुकाबले में भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल सांसद चुने गए। इस बार सपा-बसपा गठबंधन है और भाजपा ने फिर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल पर दांव लगाया है। ऐसे में देखना है कि हमीरपुर की जनता क्या फैसला सुनाती है?
2014 के चुनाव नतीजे
1- भाजपा- कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल- 453884
2- सपा- विशंभर प्रसाद निषाद- 187096
3- बसपा- राकेश कुमार गोस्वामी- 176356
4- कांग्रेस- प्रीतम सिंह लोधी (किसान)- 78229

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