64 लाख के गबन का है मामला वर्ष 2016 में प्रधान डाकघर सहित मण्डल के अन्य डाकघर में किए गए 64 लाख रुपये के गबन का जिन्न अब सीबीआइ की जाँच में लगातार बढ़ता जा रहा है। मामला सीबीआइ के पास पहुँचने के बाद पूरे प्रकरण की परत तेजी से खुलने लगी हैं। सेण्ट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन की लखनऊ स्थित एण्टि करप्शन ब्यूरो विंग के इन्स्पेक्टर अभिषेक कुमार गुप्ता ने 6 सरकारी कर्मचारी सहित 16 लोगों पर डाकघर में फर्जी खाता खुलवाकर 64 लाख रुपये के सरकारी। गबन की एफआइआर दर्ज कराते हुए कई दस्तावेज भी उपलब्ध कराए हैं। इसमें प्रधान डाकघर के तत्कालीन सीनियर पोस्ट मास्टर ऐब्रन सिंह, पोस्टल असिस्टेण्ट अशोक कुमार, डिप्टी पोस्टमैन हरदास वर्मा, पोस्टल असिस्टेण्ट अरविन्द पटेल, डिप्टी पोस्ट मास्टर एके शाण्डिल्य, राशिद खान मंसूरी ऑफिसिएटिंग सीनियर पोस्ट मास्टर को आरोपी बनाया गया है। 2016 में हुई गबन का मामला सीबीआइ के हाथ आते ही उन्होंने ताबड़तोड़ कार्यवाही शुरू कर दी। बुधवार को झाँसी में आरोपियों के घर छोपमारी करने के बाद सीबीआइ की टीम ने आगरा में एवरन सिंह के आवास से भी दस्तावेज एकत्र किए हैं।
100 रुपए की राशि से खोले गए खाते सीबीआइ के हाथ लगे सुबूत से यह स्पष्ट हो रहा है कि गबन के समय पोस्ट ऑफिस में तैनात रहे अधिकारियों ने चेक ऐसे तैयार किए कि उनमें आसानी से गबन किया जा सके। इसके अलावा कई जमाकर्ताओं ने भी चेक में अंक और शब्दों में निर्धारित रकम के स्थान पर उसे लाखों में लिखा था। सीबीआइ द्वारा पोस्ट ऑफिस के दस्तावेज भी खंगाले गए हैं। यहाँ जाँच में एक बात और निकलकर आइ है कि सभी जमा खाते मात्र 100 रुपये की जमा राशि से खोले गए और कुछ दिन बाद उनमें कुछ राशि जमा कराकर विड्रॉल करा लिया गया। इन चेक में से अधिकांश में जमा अभिकर्ताओं की हेण्ड राइटिंग पाई गई है।
3 आरोपी के चुके रिटायरमेंट वर्ष 2016 में हुए डाकघर घोटाले में जिन 6 अधिकारी-कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है, उनमें से 4 सेवानिवृत्त हो चुके हैं जबकि दो निलम्बित चल रहे हैं। इनमें डिप्टी पोस्ट मास्टर एके शाण्डिल्य 2019, ऑफिसिएटिंग सीनियर पोस्ट मास्टर रशीद खान मंसूरी 2017 में व हरदास वर्मा 2017 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं और सरकारी सुविधाओं का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।