रेलवे बोर्ड ने कुछ इस तरह का भेजा है पत्र इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे को एक पत्र लिखा है। पत्र में रेलवे बोर्ड ने एक महीने के भीतर जीपीएस ट्रैकर की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। पत्र में लिखा है, ‘बोर्ड ने फैसला किया है कि हाथ से खींची जाने वाली सभी ट्रालियों में संख्या दर्ज और जीपीएस ट्रैकर लगाए जाने चाहिए, ताकि ट्रैक के सुरक्षा निरीक्षण की प्रभावी निगरानी हो सके। यह काम एक महीने के भीतर पूरा हो जाना चाहिए।’
केंद्रों में लगाया जाएगा एक कंप्यूटर पत्र में यह भी कहा गया है कि ट्रैकिंग प्रणाली का रिकॉर्ड रखने के लिए मंडल अभियांत्रिकी संचालन केंद्रों में एक कंप्यूटर भी लगाया जाए। आपको बता दें कि अब तक तो सिर्फ रेल कर्मचारी ही अपना ब्योरा भरकर देते थे कि उन्होंने ट्रैक की जांच कर ली है। अब रेलवे ने उस व्यवस्था में बदललाव करते हुए उनकी ट्रॉली में ही जीपीएस लगाने का फैसला किया है। जीपीएस के जरिए रेलवे यह पता लगा सकेगी कि ट्रैक पर ट्राली लेकर यह जांच की गई या नहीं। जीपीएस के जरिए यह भी पता रहेगा कि कौन सी ट्रॉली किस वक्त कहां पर थी? ऐसे में बैठे बिठाए ही निरीक्षण करने की कागजी खानापूरी की रेलकर्मियों की प्रवृत्ति को रोका जा सकेगा। पिछले महीने कई रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने की घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह आदेश आया है।