ये भी पढ़ें- भाजपा विधायक के पति ने थामा सपा का दामन, कहा- 14 साल बाद हुई घर वापसी गैर जरूरी उपकरण का हुआ था क्रय- बताया जा रहा है कि कई वरिष्ठ अफसरों ने ऐसे उपकरणों के क्रय के आदेश दे दिए थे, जो विभाग के लिए बिल्कुल ही गैर जरूरी थे। इससे विभाग को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। बाद में जांच में बिजली विभाग के 6 कर्मियों को निलंबित किया गया था व 22 कर्मचारियों की संलिप्तता मिली थी। ईओडब्ल्यू के एसपी बाबूराम का कहना है कि मुख्य अभियंता (वितरण) झांसी क्षेत्र और अधीक्षण अभियंता विद्युत वितरण मंडल झांसी ने 50 करोड़ रुपए के फर्जी क्रय आदेश जारी करके रकम हड़प ली थी। शासन ने जांच रिपोर्ट के साथ-साथ मासिक प्रगति रिपोर्ट भी देने का आदेश दिया है। गठित टीम घोटाले की जांच में जुट गई है।
ये भी पढ़ें- अस्पताल की महिला सुपरवाइजर के घर चल रहा था गर्भपात का अवैध बिजनेस, पुलिस ने छापा मारा तो उड़े होश क्रय आदेश का रिकॉर्ड गायब- प्राथमिक जांच में पता चला है कि बिजली विभाग के बड़े अफसरों व माल सप्लाई करने वाली कंपनियों और कर्मचारियों ने एक साथ मिलकर पूरा घोटाला किया है। अफसरों ने कमीशनखोरी के चक्कर में गैरजरूरी उपकरण दोगुना से भी अधिक कीमत पर खरीदे गए थे। वर्ष 2012 से 2013 के बीच 56.43 करोड़ रुपए के विभाग ने उपकरण खरीदे थे। जांच के पता चला कि इनमें 45.20 करोड़ के क्रय आदेश का मंडल कार्यालय में रिकार्ड ही गायब है।