ये चार सीटें हैं बुंदेलखंड में बुंदेलखंड में लोकसभा की चार सीटें हैं। इसमें सात जिले आते हैं। झांसी और ललितपुर जिलों के हिस्सों को मिलाकर झांसी-ललितपुर संसदीय सीट बनती है। इसके अलावा अन्य जिलों के हिस्सों को मिलाकर बांदा-चित्रकूट, जालौन-गरौठा-भोगनीपुर और हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीटें हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में सबका साथ-सबका विकास के नारे पर बुंदेलखंड की जनता ने यहां की चारों ही सीटें भारतीय जनता पार्टी की झोली में डाल दी थीं। इसके बाद 2017 में भी जनता ने अपना भरोसा भारतीय जनता पार्टी पर दोहराते हुए सभी 19 सीटों पर कमल खिलाया। समय-समय पर बुंदेलखंड के विकास के लिए योजनाओं की घोषणाएं हुईं। योगी सरकार ने तो सभी गांवों को पाइप से पेयजल की सप्लाई वाली योजना को हरी झंडी दी। ये योजनाएं कब धरातल पर आएंगी, यही सवाल सबसे बड़ा है? फिलहाल, चुनावी दुंदुभि बज चुकी है। गांव-गांव चुनाव का शोर है, लेकिन यहां के बहुतायत इलाकों में जमीन और लोग प्यासे के प्यासे हैं।
शहरी इलाके भी झेल रहे जलसंकट की त्रासदी बुंदेलखंड के जल संकट की त्रासदी तमाम गांवों के साथ ही शहरी इलाके भी झेल रहे हैं। बानगी के तौर पर बुंदेलखंड के सबसे बड़े जिले झांसी की तस्वीर को लेते हैं। यहां पर समय-समय पर पेयजल मुहैया कराने के लिए तमाम योजनाओं पर काम हुआ, लेकिन जब कसौटी पर कसने का वक्त आया तो व्यवस्थाएं नाकाफी ही साबित हुईं। एक बार फिर चुनाव की दहलीज पर खड़े बुंदेलखंड में लोग जलसंकट की मार झेल रहे हैं। उनका ज्यादा वक्त पानी का जुगाड़ करने में ही बीतता है। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि चुनावी बेला में लोगों के लिए रोजी-रोटी और पानी पर बात नहीं होती दिख रही है। सभी दल और नेता अपनी कमीज को ज्यादा सफेद बताकर जनता का विश्वास हासिल करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।