लगातार रहे कांग्रेस सांसद
इस सीट पर 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के रघुनाथ विनायक धुलेकर चुने गए। इसके बाद 1957, 1962 और 1967 में कांग्रेस की सुशीला नायर सांसद चुनी गईं। 1971 में गोविंद दास रिछारिया सांसद बने। फिर 1977 में हुए चुनाव में सुशीला नायर भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनकर संसद में पहुंची। इसके बाद 1980 में कांग्रेस से पं.विश्वनाथ शर्मा सांसद बने। 1984 में कांग्रेस के सुजान सिंह बुंदेला सांसद चुने गए। फिर 1999 में सुजान सिंह बुंदेला दुबारा सांसद बने। इसके बाद 2009 से 2014 तक प्रदीप जैन आदित्य सांसद रहे।
भाजपा ने आठ चुनाव बाद चखा था जीत का स्वाद
इस सीट पर भाजपा ने जीत का स्वाद नौवीं लोकसभा में चखा। तब 1989 में यहां से भाजपा के राजेंद्र अग्निहोत्री चुने गए। इसके बाद नौ साल में चार चुनाव हुए। 1989, 1991, 1996 व 1998 में हुए चुनाव में लगातार चार बार भाजपा के राजेंद्र अग्निहोत्री सांसद चुने गए। इसके बाद लगातार तीन चुनाव भाजपा के अच्छी खबर लेकर नहीं आए। फिर 2014 की मोदी लहर में झांसी की जनता ने उमा भारती को सिर आंखों पर बिठाया। इस बार उन्होंने चुनाव न लड़ने का ऐलान कर रखा है। ऐसे में देखा भाजपा किसे चुनाव मैदान में उतारती है।
एक बार रही सपा के पास सीट
झांसी सीट से समाजवादी पार्टी के चंद्रपाल सिंह यादव 2004 से 2009 तक सांसद रहे। इस बार देखना है कि समाजवादी पार्टी किसे चुनाव मैदान में उतारती है।
23.55 लाख मतदाता बनेंगे भाग्य विधाता
लोकसभा चुनाव 2019 में झांसी-ललितपुर संसदीय क्षेत्र के 2355730 मतदाता नेताओं के भाग्यविधाता बनेंगे। इसमें 1250186 मतदाता पुरुष, 1105437 मतदाता महिला और 107 मतदाता थर्ड जेंडर हैं।
ये हैं मुख्य चुनावी मुद्दे
बुंदेलखंड में आने वाले झांसी-ललितपुर संसदीय क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों में किसान मौसम की मार झेलते-झेलते आजिज आ गया है। इसके अलावा पानी और बेरोजगारी की समस्या है। हालांकि, भाजपा की सरकार ने यहां से रोजगार की तलाश में लोगों के पलायन को रोकने के लिए डिफेंस कॉरीडोर जैसी परियोजनाएं लाई हैं। इसके अलावा गांव-गांव पाइप लाइन से पेयजल पहुंचाने की परियोजना पर भी काम शुरू कराया है। इतना ही नहीं, झांसी-इलाहाबाद हाईवे का काम पूरी तेजी पर चल रहा है। अब देखना है कि भाजपा की ऐसी विकास योजनाओं का कितना लाभ उसे इस चुनाव में मिल पाता है?