कोलाज प्रदर्शनी को सराहा इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रवेश प्रकोष्ठ समन्वयक प्रो. प्रतीक अग्रवाल ने विद्यार्थियों के द्वारा बनाई कलाकृतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रत्येक मानव के मन में कुछ स्वतंत्र भाव एवं उद्गार उत्पन्न होते हैं, जिन्हें विभिन्न कलाओं के माध्यम से प्रकट करता है। अतः कला मानव मन के भावों का प्रतिरूप होती है। प्रो.अग्रवाल कहा कि ललित कला संस्थान के छात्र-छात्राओं की रचनात्मकता आज कोलाॅज विधा की इन कलाकृतियेां के रूप में सभागार की दीवारों पर सुशोभित हो रही है। उन्होंने संस्थान के शिक्षकों को इस कार्यक्रम का श्रेय देते हुए आशा प्रकट की कि भविष्य में संस्थान उत्तरोत्तर प्रगति के पथ पर अग्रसारित रहेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पत्रकारिता संस्थान के पूर्व प्रमुख डा.सी.पी.पैन्यूली ने संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयेाजन संस्थान में अध्ययनरत विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिलेगा जिससे उनके भविष्य के कलाकार बनने का मार्ग प्रशस्त होगा। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन, पुष्पार्चन तथा माल्यार्पण से हुआ। मंचासीन अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंटकर तथा बैज लगाकर सम्मानित किया गया।
ये लोग रहे उपस्थित सर्वप्रथम संस्थान की समन्वयक डा.श्वेता पाण्डेय ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। डा.पाण्डेय ने बताया कि ये सभी कलाकृतियां कोलाज विधा पर बी.एफ.ए. प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं द्वारा बनाई गई है। कार्यक्रम का संचालन डा.श्वेता पाण्डेय ने किया जबकि आमंत्रित अतिथियों का आभार डा.अजय कुमार गुप्ता ने व्यक्त किया। इस अवसर पर डा.सुनीता, डा.कौशल त्रिपाठी, दिलीप कुमार, जयराम कुटार, मुकुल वर्मा, आरती वर्मा, पुनीत कुमार, शुभदीप, बृजेश पाल सहित अन्य विभागों के शिक्षक उपस्थित रहे।