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झांसी

आजादी के 76 साल बाद भी पुलिस विभाग की शब्दावली में बदलाव नहीं, उर्दू-फारसी में चल लिखा-पढ़ी

सिविल पुलिस से लेकर जीआरपी तक, दोनों भाषाओं पर टिकी है सारी व्यवस्था। नए पुलिसकर्मियों को मुश्किल हो रही है भाषा को समझना। पुलिस जीडी हुई ऑनलाइन, लेकिन अरबी-फारसी के शब्दों में कोई बदलाव नहीं।

झांसीDec 16, 2023 / 10:43 am

Ramnaresh Yadav

UP Police

उत्तर प्रदेश पुलिस – फोटो : सोशल मीडिया

पुलिस गश्त में मामूर थी, तभी जरिये मुखबिर ने मालूम किया कि एक नफर अभियुक्त मयमाल मौजूद है। हमने हमरान सिपाहियान के साथ मिलकर उसे पकड़ा है। उसका हश्म हुलिया जैल में है।” इस फर्द (लिखित सूचना) की भाषा का उपयोग रोजाना थानों में होता है, लेकिन नए पुलिसकर्मियों को इसे समझने में कठिनाई हो रही है। व्याख्यान में, नए पुलिसकर्मियों की मेहनत का परिणाम है कि वे इस भाषा को समझने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
शब्दावली में नहीं हुआ परिवर्तन

साल 2016 में सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग सिस्टम) की पहली भर्ती के बाद, पुलिस विभाग को आशा थी कि अब फारसी और उर्दू के साथ हिन्दी को भी महत्वपूर्ण बनाया जाएगा। हिन्दी और अंग्रेजी पर आधारित सीसीटीएनएस व्यवस्था में शिक्षित और कंप्यूटर ज्ञान रखने वाले नए युवाओं की भर्ती से उम्मीदें बढ़ी थीं। लेकिन भर्ती होने के बाद भी, पुलिस विभाग की शब्दावली में कोई स्थायी बदलाव नहीं हुआ और नए पुलिसकर्मियों को अरबी-फारसी के शब्दों को समझने में कठिनाई हो रही है।
अनुवादक की होती थी भर्ती

पुलिस विभाग में पहले उर्दू भाषा की पढ़ाई के लिए अनुवादक की भर्ती होती थी, जिसकी अंतिम बार 1995 में हुई थी। उसके बाद, 1996 से उर्दू अनुवादक की भर्ती नहीं हुई। 2011 में हिन्दी और अंग्रेजी पर आधारित सीसीटीएनएस की व्यवस्था शुरू होने के बाद, पहली भर्ती 2016 में हुई थी। जिले में लगभग 12 उर्दू अनुवादक हैं, जो अनुवाद करते हैं, लेकिन इस संख्या से नए पुलिसकर्मियों को कठिनाई हो रही है।
हिंदी में काम करने का हो रहा प्रयास

पुलिस विभाग में भाषा समझने में कठिनाई आने के बावजूद, शासन और पुलिसकर्मी एक मिलकर अधिक से अधिक काम हिन्दी में करने का प्रयास कर रहे हैं।
इन शब्दों का ज्यादा प्रयोग करती पुलिस


अदम तामील – सूचित न होना अदम तकमीला – अंकन न होना


अदम मौजूदगी – बिना उपस्थिति


अहकाम – महत्वपूर्ण


गोस्वारा – नक्शा

फर्द अफराद – एक व्यक्ति


माल मसरूका – लूटी अथवा चोरी गई सम्पत्ति


मजरूब – पीड़ित


मुजामत- झगड़ा


मुचलका – व्यक्तिगत पत्र

रोजनामचा आम – सामान्य दैनिक


रोजनामचा खास – अपराध दैनिक

सफीना – बुलावा पत्र


जामा तलाशी – वस्त्रों की छानबीन


बयान तहरीर – लिखित कथन


नक्शे अमन – शान्तिभंग

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