script

उपचार में दवा बनी रोड़ा

locationझांसीPublished: Oct 22, 2016 12:22:00 pm

Submitted by:

gaurav khandelwal

सात माह से दवाइयों की सप्लाई नहीं हो रही है

the snag in drug treatment

the snag in drug treatment

बांदीकुई. सरकार ने मरीजों को बेहतर सुविधा देने के लिए भले ही अस्पतालों में यूनानी चिकित्सालय खोल दिए हो, लेकिन प्रशासन की बेरूखी के चलते इनमें समय पर दवा की सप्लाई नहीं हो रही है। 
ऐसे में मरीजों का यूनानी पद्धति से उपचार नहीं होने से मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा वितरण योजना पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 

राज्य सरकार की ओर से अगस्त 2015 में बांदीकुई, सिकंदरा एवं लालसोट में यूनानी चिकित्सक लगाए थे। चिकित्सक लगने के बाद मार्च 2016 में मात्र पांच प्रकार की दवाएं आई थी। ये दवा कुछ ही दिन बाद खत्म हो गई। अब मात्र खांसी एवं पाइल्स की ही दवा उपलब्ध है।
 जिले में इस वक्त दौसा, चांदराना, महुवा, बांदीकुई, सिकंदरा व लालसोट में यूनानी चिकित्सालय संचालित है, लेकिन सभी का कमोबेश यही हाल है।

परामर्श लेकर लौट जाते हैं मरीज

मरीजों का कहना है कि चिकित्सालय में यूनानी चिकित्सक के पास मात्र पर्ची में दवा लिखवाने जाते हैं, इसके बाद जयपुर एवं दौसा से जेब का पैसा खर्च कर के दवा मंगवानी पड़ती है। कई मरीज तो दवा नहीं मिलने पर मात्र परामर्श लेकर लौट जाते हैं। 
यूनान की पद्धति के आधार पर किए जाने वाला यह उपचार आयर्वेद पद्धति से मिलता-जुलता है। जबकि इन दिनों लोगों को जोड़ों में दर्द, चर्म रोग, बुखार, पेट दर्द, दश्त एवं अन्य बीमारियों की शिकायतें आ रही है।
मरीजों की संख्या घटती जा रही है

दवा नहीं होने से यूनानी पद्धति से उपचार कराने वाले मरीजों की संख्या भी प्रतिदिन घटती जा रही है। यहां एक वर्ष में अब तक 965 मरीज उपचार के लिए पंजीयन करा चुके हैं। अब यहां पिछले तीन-चार महीनों से मात्र दो-तीन मरीज ही प्रतिदिन आ रहे हैं। 
ऐसे में दवा के अभाव में मरीजों का भी मोहभंग होने से यूनानी चिकित्सक ठाले बैठे रहते हैं। खास बात यह है कि राजकीय चिकित्सालय में यूनानी चिकित्सक को बैठने के लिए एक छोटा सा कमरा दिया हुआ है। ऐसे में यहां मरीज को बैठने तक के लिए जगह तक नहीं है। यूनानी चिकित्सक के पास चिकित्साकर्मी एवं सहायक कर्मचारी तक नहीं है।
दवा हो तो मिले राहत

राजकीय चिकित्सालय बांदीकुई के यूनानी चिकित्सा अधिकारी डॉ. सबीहा रहमान का कहना है कि सरकार की ओर से दवाओं की सप्लाई नहीं की जा रही है।

 कई बार दवाओं का मांग पत्र तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजा दिया गया। यहां यूनानी दवाओं की दुकान भी भी नहीं है। ऐसे में मरीज को दवा के लिए जयपुर एवं दौसा जाना पड़ता है। दवाइयां हो तो मरीजों को राहत मिल सकती है। (नि.सं.)

ट्रेंडिंग वीडियो