नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि मायावती राज्यसभा में अपने दल की नेता थी। भाजपा ने जब उनकी आवाज को उठने नहीं दिया तो उन्होंने इस्तीफा देने की बात कही। उनके अन्य विधायकों व एमएलसी की भी आवाज नहीं सुनी जा रही। वे कब इस्तीफा दे रहे हैं? उन्होंने कहा कि मायावती के राज्यसभा में कुछ महीने बाकी थे तभी उन्होंने दलितों की सहानुभूति लेने के लिए यह ड्रामा किया। उन्होंने रोहित वेमुला कांड के दौरान हरियाणा में दलितों के घर जलाने, महाराष्ट्र में दलितों पर अत्याचार होने के समय इस्तीफा क्यों नहीं दिया? नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया कि मायावती ने बड़े से लेकर छोटे चुनाव में भी पैसा लेना शुरू कर दिया, जिससे कार्यकर्ताओं में काफी रोष है। जो पदाधिकारी पैसा नहीं देता है उसे पार्टी से बाहर निकाल दिया जाता है। उन्होंने पृथक बुंदेलखंड राज्य का समर्थन किया।
इसके पूर्व राघव वर्मा, सुलेमान अहमद मंसूरी, मोहन पहलवान, मोहम्मद तवरेज, जमुना श्रीवास, अनवार राईन, पवन खटीक, मोहम्मद अकबर, मुबीन मंसूरी, मंसूर अहमद मंसूरी, इमरान खान, मोहम्मद शफीक, मोहम्मद फारुख ने नसीमुद्दीन का स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ. बाबूलाल तिवारी, पूर्व विधायक सतीश जतारिया, चंदन वाल्मीकि, एके सोनी, केसी साहू, दिनेश भार्गव, हाजी तुफैल उपस्थित रहे। हाजी अशफाक व हरपाल अहिरवार के नेतृत्व में कई लोगों ने राबुमो की सदस्यता ग्रहण की। अध्यक्षता देशराज रिछारिया, संचालन नूर अहमद मंसूरी व हाफिज गुलाम रसूल एवं आभार व्यक्त याकूब अहमद मंसूरी ने किया।