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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का बड़ा फैसला, अब गर्भवती को मिलेगी ये विशेष सुविधा

locationझांसीPublished: Jun 22, 2018 09:34:04 pm

Submitted by:

BK Gupta

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का बड़ा फैसला, अब गर्भवती को मिलेगी ये विशेष सुविधा

national health mission provides birth companion facility to pregnant

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का बड़ा फैसला, अब गर्भवती को मिलेगी ये विशेष सुविधा

झांसी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने फैसला लिया है कि अब से सभी गर्भवती महिला प्रसव के समय अपने किसी महिला रिश्तेदार को अपने साथ प्रसव कक्ष में ले जा सकती है। इसके साथ ही प्रसव के लिए आई गर्भवती महिला के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार किया जाए, जिससे कि उसे प्रसव के समय कोई मानसिक तनाव न रहे।
संस्थागत प्रसव को बढ़ावे के लिए उठाया कदम
प्रदेश सरकार की ओर से संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया है। प्रसव के समय गर्भवती को पीड़ा और घबराहट का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से अभी भी बहुत सी प्रसूताएं घर पर ही प्रसव कराना चाहती हैं, जहां उनका कोई अपना उनके साथ रहता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुये राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने ये फैसला लिया कि अब गर्भवती महिला अपने साथ किसी एक महिला रिश्तेदार को ले जा सकती है। इसकी जानकारी स्वास्थ्य कर्मियों को गर्भवती महिला की पहली जांच के समय ही प्रसूता को देनी होगी। साथ ही गर्भवती महिला किसे अपने साथ ले जाना चाहती है उसका नाम और नंबर प्रसूता को जांच के समय ही एएनएम के पास दर्ज करा देना होगा। बर्थ कंपेनियन (प्रसव के समय कोई साथी) को प्रसव पूर्व की सभी जांचों में उपस्थित होना होगा, और प्रसूता को भी प्रसव पूर्व जांच के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही बता चुका है जरूरत
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भेजे गए पत्र में ये बात कही गई है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2002 में ही बर्थ कम्पेनियन को मातृ एवं शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए बहुत जरूरी माना था। इसके बाद दुनिया भर में ये पाया गया कि बर्थ कम्पेनियन की मौजूदगी गर्भवती महिला के प्रसव के समय या पश्चात उनके स्वास्थ्य में सकारात्मक मदद करती है। इससे उनके हार्मोन्स सुचारु रूप से चलते हैं। इस प्रयोग से देखा गया है कि प्रसव का समय कम हो जाता है और नॉर्मल प्रसव करने की ज्यादा संभावनाएं रहती हैं। इसी के साथ यदि प्रसूताओं के साथ उचित व्यवहार किया जाएगा तो एक तनाव मुक्त वातावरण के साथ ही वह अपना अगला प्रसव संस्थान में ही कराएंगी।
जिला महिला अस्पताल की प्रसूति विशेषज्ञ डा. वसुधा अग्रवाल बताती हैं कि प्रसव का समय ऐसा होता है जिसमें महिला बहुत घबरायी होती है। उस समय उसके साथ उसका कोई अपना रहता है तो उस महिला का आत्म विश्वास बढ़ता है। मानसिक बल बढ़ता है और घबराहट भी कम हो जाती है। इसके अलावा उनका कहना हैं कि प्रसव के दौरान अगर महिला तनाव में रहेगी तो हार्मोन्स चेंज हो सकते हैं, साथ ही घबराहट की वजह से महिला का ब्लड प्रेशर, दिल की धड़कन एवं सांस भी तेज हो सकती है तथा ज्यादा रक्तस्राव हो सकता है।
कौन हो सकता है बर्थ कम्पेनियन-
· बर्थ कम्पेनियन एक महिला रिश्तेदार होनी चाहिए। उचित होगा यदि उसका पहले प्रसव हो चुका हो। यदि कक्ष की निजता बरकरार रहे तो प्रसूता का पति भी साथ जा सकता है।
· वह किसी संक्रमित रोग से ग्रसित न हो।
· उसने साफ सुथरे कपड़े पहने हो।
· उसे गर्भवती महिला के प्रसव के पूरे समय तक उपस्थित रहना है।
· उसे दूसरी महिलाओं के प्रसव में हस्तक्षेप नहीं करना है।
· उसके द्वारा प्रसवकक्ष/चिकित्सालय में उपस्थित स्टाफ़ द्वारा दिये गए उपचार में बाधा उत्पन्न नहीं करनी है।
· उसके द्वारा कैमरा या मोबाइल फोन का प्रयोग नहीं करना है।
· उसे डॉक्टर के द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन करना होगा।
· उसके द्वारा मां और शिशु के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं देनी है। न ही बच्चे के लड़का या लड़की होने की जानकारी घोषित करनी है।
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