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बच्चों को डायरिया से बचाने को रोटा वायरस वैक्सीन यूपी में भी जल्द

बच्चों को डायरिया से बचाने को रोटा वायरस वैक्सीन यूपी में भी जल्द

झांसीJun 14, 2018 / 08:36 pm

BK Gupta

बच्चों को डायरिया से बचाने को रोटा वायरस वैक्सीन यूपी में भी जल्द

झांसी। डायरिया से बच्चों की होने वाली मौतों की रोकथाम के लिए जल्द ही उत्तर प्रदेश में भी रोटावायरस वैक्सीन को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा| यह वैक्सीन रोटावायरस के कारण होने वाले गंभीर दस्त से सुरक्षा प्रदान करेगी | भारत सरकार ने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में रोटावायरस वैक्सीन को देश में चरणबद्ध तरीके से शामिल किया है। अब तक रोटावायरस वैक्सीन को देश के 10 राज्यों में (हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, असम, राजस्थान, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा और झारखंड) सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है | शीघ्र ही उत्तर प्रदेश में भी टीकाकरण सत्रों के माध्यम से बच्चों को यह वैक्सीन दी जाने लगेगी|
ये भी हो सकता है
रोटावायरस वैक्सीन बच्चे को होने वाले दस्त के एक महत्वपूर्ण कारण से सुरक्षा प्रदान करती है | बच्चे को रोटावायरस वैक्सीन की खुराक के बाद भी अन्य कारणों से होने वाले दस्त हो सकते हैं |
क्या है रोटावायरस
रोटावायरस एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है। यह बच्चों में दस्त पैदा करने का सबसे बड़ा कारण है। इसके कारण बच्चे को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ सकता है या बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है।
क्या है रोटावायरस के लक्षण
रोटावायरस संक्रमण की शुरुआत हल्के दस्त से होती है। ये आगे जाकर गंभीर रूप ले सकता है | पर्याप्त इलाज न मिलने के कारण शरीर में पानी व नमक की कमी हो सकती है तथा कुछ मामलों में बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है |
ये होते हैं लक्षण
रोटावायरस संक्रमण में गंभीर दस्त के साथ-साथ बुखार और उल्टियां भी होती हैं और कभी कभी पेट में दर्द भी होता है | दस्त एवं अन्य लक्षण लगभग 3 से 7 दिनों तक रहते हैं |
क्या कहते हैं आंकड़े
भारत में बच्चों की होने वाली कुल मौतों में से सबसे अधिक मौतें डायरिया के कारण होती हैं। WHO के आंकड़ों के अनुसार भारत में 5 वर्ष तक के बच्चों की होने वाली मौतों में 10 प्रतिशत मौतें डायरिया के कारण होती हैं| यानि भारत में लगभग 1 लाख 20 हजार बच्चे प्रतिवर्ष डायरिया से मर रहे हैं|
दो वर्ष से कम के बच्चों को होता है ज्यादा खतरा
भारत में जो बच्चे दस्त के कारण अस्पताल में भर्ती होते हैं उनमें से 40 प्रतिशत बच्चे रोटावायरस संक्रमण से ग्रसित होते हैं | यही कारण है कि भारत में लगभग 32 लाख 70 हजार बच्चे अस्पताल की ओ०पी०डी० में आते हैं। इसमें से लगभग 8 लाख 72 हजार बच्चे अस्पताल में भर्ती किये जाते हैं तथा प्रतिवर्ष 78 हजार बच्चों की मृत्यु हो जाती है। इनमें से 59 हजार मृत्यु ऐसे बच्चों की होती है जिनकी उम्र मात्र दो वर्ष ही होती है। यानि कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में रोटावायरस होने का खतरा अधिक रहता है|
जिला स्तर पर प्रशिक्षण 25 जून से
डॉ ए॰ के॰ त्रिपाठी, एसीएमओ व जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि रोटावायरस वैक्सीन को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में लागू किये जाने के सम्बन्ध में राज्य स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसमें जिले से तीन लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। 25 और 26 जून को जिले स्तर पर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, टीकाकरण अधिकारी एवं कोल्ड चैन के सदस्य को प्रशिक्षण एवं तत्पश्चात ब्लाक स्तर पर एएनएम, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा और आंगनबाड़ी को प्रशिक्षण दिया जायेगा|
पांच बूंद की होती है खुराक
एसीएमओ ने बताया कि बच्चों को रोटावायरस वैक्सीन की पांच बूंदे जन्म के 6, 10 और 14 हफ्ते की आयु पर पिलाई जायेंगी| यह वैक्सीन केवल एक साल के अंतर्गत आने वाले सभी बच्चों को दिया जाना है। यह टीकाकरण प्रशिक्षण प्राप्त एएनएम द्वारा ही दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस वैक्सीन को शुरू करने के लिए अभी शासन की ओर से ऐसा कोई निर्देश नहीं आया है। लेकिन संभावना है कि आने वाले माह में लगने वाले सभी टीकाकरण में इसको भी शामिल किया जाएगा।

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