दरअसल, 19 नवंबर को राष्ट्रीय रक्षा पर्व के समापन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जनरल बिपिन रावत भी इस मैदान में मौजूद थे। उन्होंने झांसी और महारानी लक्ष्मीबाई की गौरवगाथा को जन-जन तक पहुंचाने का संदेश दिया था। इस कार्यक्रम में उन्होंने रानी के सम्मान में कविता ‘खूब लड़ी मर्दानी…’ की कुछ पंक्तियां भी सुनाई थीं। झांसी किले की तलहटी में स्थित यह मैदान कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई जब किले से अपने घोड़े पर बैठकर कूदी थीं तो वह इसी मैदान से होकर गुजरी थी। यह मैदान शौर्य और बलिदान का प्रतीक है। इसके अलावा इस मैदान में कई बड़ी राजनीतिक कार्यक्रम भी हो चुके हैं।
हेलीकॉप्टर में गंवाई जान
गौरतलब है कि भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत का 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया। इस हादसे में रावत, उनकी पत्नी समेत 13 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। उनकी इस असामयिक मृत्यु से पूरे देश में शोक की लहर फैल गई थी। पूरे देश ने उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दी थी और अब झांसी में इस ऐतिहासिक ग्राउंड का नाम उनके नाम पर रखा जा रहा है।
ये भी पढ़ें – महिलाओं के मन की बात
उत्तरप्रदेश में केंद्र व राज्य सरकार की महिलाओं से जुडी योजनाओं का क्या हाल है? क्या इनसे किसी तरह का सामाजिक बदलाव आया है? इस चुनावी माहौल में क्या है उत्तरप्रदेश की महिलाओं/बेटियों के मन में… कुछ सवालों के जवाब के जरिए पत्रिका को भेजें अपनी राय :
इस लिंक पर क्लिक करें – https://forms.gle/PHsay4TdHhTSUMAF6