झांसी

जीवन जीने की कला सिखाता है पर्वराज पर्यूषण

जीवन जीने की कला सिखाता है पर्वराज पर्यूषण

झांसीSep 25, 2018 / 06:54 am

BK Gupta

जीवन जीने की कला सिखाता है पर्वराज पर्यूषण

झांसी। जैन आर्यिका पूर्णमति माता ने कहा कि सुख-दुख की धूप-छांव में जीवन की खुशहाली के लिये मानव प्रयासरत है। वह चाहता है कि दुनिया का सारा सुख उसका हो। दुनिया के सारे फूल उसके आंगन में खिलें। सूरज का प्रकाश तो मिले पर धूप नहीं। कुल मिलाकर मनुष्य सब कुछ अच्छा चाहता है, पर खेद है कि उसे आज कुछ भी अच्छा नहीं मिल रहा है। वह यहां जैन तीर्थ करगुवां में पर्यूषण पर्व के उपलक्ष्य में चल रहे दस दिवसीय आत्म चिंतन शिविर के समापन पर धर्मसभा में बोल रही थीं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पर्वराज पर्यूषण तो लोगों को जीवन जीने की कला सिखाता है।
रूठ गया है प्रेम
आर्यिका पूर्णमति माता ने कहा कि प्रेम आज रूठ गया है। घृणा के कांटे पग-पग पर बिछे हैं। भाई -भाई में टकराव है। आत्मीय संबंधों में बिखराव है। जहां देखो वहां असंतोष का साम्राज्य है। इसका कारण बताते हुये उन्होंने कहा कि मानव आज मानवीय मूल्यों को ताक पर रखकर स्वार्थ पूर्ण जिंदगी जीकर धर्म से दूर है और कष्टों के भंवर में फंसने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि इतिहास साक्षी है कि जब-जब मानव धर्म से दूर हुआ है तब-तब उसका पतन हुआ है। धर्म हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। बालक जब पैदा होता है तो मां के आंचल में सुख खोजता है। बालक जब थोड़ा बड़ा हो जाता है तो खेल- खिलौनों में सुख खोजता है। थोड़ा और बड़ा होकर डिग्री प्राप्त करने में, सर्विस व्यापार आदि की आजीविका के साधनों में सुख खोजता है। कुल मिलाकर यह जीव मां के आंचल से नारी के अंक तक और नारी के अंक से मृत्यु शैया तक पर पदार्थों में सुख खोजता रहता है पर सुख मिलता नहीं। अतः सुख की प्राप्ति का श्रेष्ठ उपाय धर्म है। दशलक्षण पर्व के समापन अवसर पर उन्होंने सभी से धर्म के मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
सहयोगियों का किया सम्मान
इस मौके पर शिविर को सजाने संवारने में महती भूमिका का निर्वाहन करने वाले राजस्थान के आर के मारबल परिवार एवं वंडर्स सीमेंट के संस्थापक विमल पाटनी एवं उनकी पत्नी श्रीमती तारिका पाटनी का दिगम्बर पंचायत समिति, जैन समाज एवं पावन वर्षा योग समिति की ओर से माला एवं पगड़ी पहनाकर अभिनन्दन किया गया। श्रीमती तारिका एवं विमल पाटनी ने अपनी ओर से बुन्देलखण्ड के जैन तीर्थ क्षेत्रों के विकास में भरपूर सहयोग का आश्वासन दिया। इस मौके पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं गौरव अध्यक्ष प्रदीप जैन आदित्य, प्रवीण कुमार जैन, अशोक रतनसेल्स, सुभाष सत्यराज, दिनेश जैन, सी ए सुमित जैन, राजीव सिर्स, संजय सिंघई, वरूण जैन, सिंघई रिषभ जैन आदि मौजूद रहे। संचालन ब्रह्मचारी आशीष भैया ने किया। बाद में आभार संजय कर्नल ने व्यक्त किया।

Home / Jhansi / जीवन जीने की कला सिखाता है पर्वराज पर्यूषण

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.