इस फ़िल्म से निखरेगा मिड मील रसोईयों का रूप, सीखेंगे पौष्टिक खाना बनाना
झांसीPublished: Sep 03, 2018 11:17:51 pm
प्रदेश के 1,14,460 प्राथमिक एवं 54,372 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में चल रही है योजना
इस फ़िल्म से निखरेगा मिड मील रसोईयों का रूप, सीखेंगे पौष्टिक खाना बनाना
झांसी। प्राथमिक विद्यालयों में मिलने वाले मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए भारत सरकार और यूनिसेफ़ के संयोग से ‘पोषणा’ नामक एक फ़िल्म बनाई गई है। यह फिल्म मिड डे मील योजना के तहत कार्यरत सभी रसोइयों को दिखाई जाएगी। इससे वह खाना बनाते समय ध्यान देने वाली बारीकियों को समझ सकेंगे। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश के द्वारा सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र के माध्यम से सूचित किया गया है कि वह अपने यहां संचालित मिड मील में भोजन बनाने वाले रसोइयों को यह फ़िल्म जरूर दिखायें। इस फ़िल्म में मध्यान्ह भोजन योजना से जुड़े मुख्य बिन्दुओं स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा, स्वच्छता एवं पाक कला आदि पर ध्यान दिया गया है।
ये है झांसी जिले में स्थिति
जिला समन्वयक राजबाबू सिंह के अनुसार वर्तमान में जनपद में कुल 1 हज़ार 8 सौ 64 विद्यालयों में मिड डे मील योजना चल रही हैं। इसमें लगभग 4 हज़ार 2 सौ के करीब रसोइये काम करते हैं। सितंबर 2017 तक इन विद्यालयों में 1 लाख 48 हज़ार 3 सौ 44 बच्चे पंजीकृत थे। इसमें से 55 से 60 प्रतिशत बच्चे प्रतिदिन मध्यान्ह भोजन कर रहे हैं। इन विद्यालयों के शिक्षक को इस फिल्म को दिखाने की सूचना दी जा चुकी है।
मोबाइल फोन पर दिखाई जाएगी फिल्म
बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिवंश सिंह ने कहा कि कई लोगों के पास कम्प्यूटर की सुविधा उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन एण्ड्रोइड फोन सभी शिक्षकों के पास उपलब्ध हैं। इसी के माध्यम से यह फिल्म सभी रसोइयों को दिखाई जाएगी। उनका कहना है कि इस फिल्म में स्वच्छता और पोषण पर जो दिखाया गया है यदि रसोइया उसी तरह से कार्य कर रहे हैं तो यह फिल्म उनको और प्रोत्साहित करेगी। जो रसोइये नहीं कर रहे हैं उनको सिखाएगी। ऐसे तो रसोइयों को कोई विशेष ट्रेनिंग नहीं दी जाती है, लेकिन कम से कम इस फिल्म के माध्यम वह अपना कार्य और बेहतर कर सकेंगे। मिड डे मील का यही उद्देश्य है कि बच्चों को पोषण मिले, तो इस फिल्म के माध्यम से वह काफी हद तक सुधरेगा।
दोनों सरकारों के प्रयास से चलती है योजना
मध्यान्ह भोजन योजना भारत सरकार तथा राज्य सरकार के सम्मिलित प्रयासों से संचालित है। भारत सरकार द्वारा यह योजना 15 अगस्त 1995 को लागू की गयी थी, जिसके अंतर्गत कक्षा 1 से 5 तक प्रदेश के सरकारी/परिषदीय/राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को 80 प्रतिशत उपस्थिति पर प्रति माह 3 किलोग्राम गेहूं अथवा चावल दिये जाने की व्यवस्था की गई थी। इस योजना के अंतर्गत छात्रों को दिए जाने वाले खाद्यान का पूर्ण लाभ छात्र को न प्राप्त होकर उसके परिवार के मध्य बंट जाता था, इससे छात्र को वांछित पौष्टिक तत्व कम मात्रा में प्राप्त होते थे।
कोर्ट के निर्देश पर लागू हुई मिड डे मील की व्यवस्था
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 28 नवम्बर 2001 को दिए गए निर्देश के क्रम में प्रदेश में 1 सितम्बर 2004 से पका पकाया भोजन प्राथमिक विद्यालयों में उपलब्ध कराये जाने की योजना आरम्भ कर दी गयी। योजना की सफलता को दृष्टिगत रखते हुए अक्तूबर 2007 से इसे शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े ब्लाकों में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालयों तथा अप्रैल 2008 से शेष ब्लाकों एवं नगर क्षेत्र में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालयों तक विस्तारित कर दिया गया है। वर्तमान में यह योजना प्रदेश के 1,14,460 प्राथमिक विद्यालयों एवं 54,372 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में चल रही है।