संस्कृति को बचाना होगा इस अवसर पर मुख्य वक्ता आरिफ शहडोली ने कहा कि भौतिकता के बढ़ने के कारण व्यक्ति मानवीय गुणों को भूल रहा है। वह परिवार, पड़ोस, विद्यालय की आपसी सौहार्द की संस्कृति को भूलकर विघटनकारी प्रवृत्ति की ओर बढ रहा है, जिससे समाज का विनाश तय है। समाज को बचाने के लिए हमें अपनी संस्कृति को बचाना होगा। अपनी संस्कृति को बचाने के लिए स्वस्थ सांस्कृतिक परम्पराओं और मानवीय मूल्यों को संरक्षित करना होगा। इसके लिए साहित्यकार अनवरत प्रयत्नशील रहता है। ये साहित्य के सामाजिक सरोकार ही है कि देश में लोकतान्त्रिक मूल्यों और सामाजिक मूल्यों की निरन्तर चर्चा व उनके संरक्षण के प्रयास होते हैं।
ये लोग रहे उपस्थित जिला सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ आलोचक डाॅ. अनिल अविश्रान्त, वरिष्ठ साहित्यकार निहालचन्द्र शिवहरे, प्रलेस इकाई महासचिव डाॅ. मुहम्मद नईम, डाॅ अनिरुद्ध कुमार, डाॅ. कमलेश कुमार, विनोद साहू झांसवी, मेघा झा, मयंक ने भी सम्बोधित किया। विचार सत्र के उपरान्त कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें साकेतसुमन चतुर्वेदी, निहाल चन्द्र शिवहरे, आरिफ शहडोली, डाॅ. अनिल अविश्रान्त, डाॅ. मुहम्मद नईम, विनोद साहू, मेघा झा, अंशुल नामदेव, वरदान मेहता, अश्विनी साहू आदि ने काव्य पाठ किया।
कार्यकारिणी का गठन इस अवसर प्रलेस की नवीन कार्यकारिणी का भी गठन किया गया। कार्यकारिणी के संरक्षक मण्डल में डाॅ. अर्चना गुप्ता, डाॅ. इकबाल खान, निहालचन्द्र शिवहरे, ओमशंकर खरे ‘असर’, अर्जुन सिंह चाँद, हलीम राना, सत्यप्रकाश ताम्रकार, ब्रहमादीन ‘बन्धु’ अध्यक्ष डाॅ. अनिल अविश्रान्त, उपाध्यक्ष आरिफ शहडोली, डाॅ. शारदा सिंह, महासचिव डाॅ. मुहम्मद नईम, सचिव मेघा झा, कोषाध्यक्ष विनोद साहू निर्वाचित किये गये। कार्यकारिणी सदस्यों में अमीनउद्दीन, कमलेश झा, अब्दुल जब्बार शारिब, सी. पी. भार्गव, रामदीन मौर्य, मो. शाहिद, आरिफ उमर, डाॅ. कमलेश कुमार, डाॅ. अनिरुद्ध कुमार, फराज आलम, अविनाश मिश्रा, अंशुल नामदेव, शेख अरशद, संजय सतोईया, सुनील कुमार, वरदान मेहता, मयंक, रितु वंशकार, रोहित प्रजापति, अश्विनी साहू आदि शामिल रहे।