रेलवे में बड़े बदलाव की तैयारी, नौकरी छोड़ो-नौकरी पाओ में ये नियम होगा लागू
झांसीPublished: Apr 24, 2018 03:15:24 pm
रेलवे में बड़े बदलाव की तैयारी, नौकरी छोड़ो-नौकरी पाओ में ये नियम होगा लागू
रेलवे में बड़े बदलाव की तैयारी, नौकरी छोड़ो-नौकरी पाओ में ये नियम होगा लागू
झांसी। रेलवे अब अपने कर्मचारियों को एक और नया उपहार देन की तैयारी कर रहा है। इसमें रेलकर्मी दस साल तक नौकरी करने के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लेकर अपने पुत्र या आश्रित को नौकरी दिला सकता है। पहले यह नियम 30 साल का था, फिर 20 हुआ और अब दस साल किए जा रहा है। ऐसे में कई रेलवे कर्मियों के पुत्र या फिर अन्य परिजन लाभान्वित होंगे। रेलवे बोर्ड नौकरी छोड़ो और नौकरी पाओ स्कीम में परिवर्तन करने को लेकर तैयार हो गया है। इसमें सेफ्टी केटेगरी के तहत कम से कम दस साल की अनिवार्यता तय की है।
पहले थी ये स्थिति
इस केटेगरी के विभागों में पहले 33 साल की सेवा अनिवार्य तय की गई थी। इसके बाद 20 वर्ष किया गया और अब दस वर्ष की जा रही है। लोको पायलट के पद पर दस साल रेलवे में सेवा कर चुके कर्मचारी वीआरएस के तहत अपने बेटे या फिर किसी आश्रित को नौकरी दिला सकेंगे। इसके अलावा गैंगमैन, फिटर, हेल्पर सहित अन्य पदों पर भी दस वर्ष से कार्यरत कर्मचारियों द्वारा वीआरएस लेकर उसी पद पर नौकरी दी जाएगी। उसी पद पर नौकरी पाने वालों में तकनीकी दक्षता को पहले प्राथमिकता मिलेगी। रेलवे बोर्ड द्वारा किए गए इस नए बदलाव की चर्चा जोरों पर है। रेलवे बोर्ड द्वारा लिया गया निर्णय कई रेल कर्मचारियों के चेहरों पर खुशियां जरुर ला सकेगा, जिससे उनके परिवार कर के सदस्य अपने परिवार का आगे भी बेहतर भरण पोषण कर सकेगा। एआईआरएफ ने बीते रोज पूर्व सीआरबी से दस साल की नौकरी होने पर लार्जेंस का लाभ देने की मांग की है।
अटॉर्नी जनरल से ली जाएगी कानूनी राय
इस संबंध में नॉर्थ सेन्ट्रल रेलवे मैंस यूनियन के नेता आर के मिश्रा का कहना है कि एआईआरएफ के महामंत्री कामरेड शिवगोपाल मिश्रा ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी के साथ बैठक की। बैठक में लार्जेंस सिस्टम को और सुविधा जनक बनाया जाए और न्यूनतम दस साल की नौकरी पूरी होने पर कर्मचारियों को रिटायरमेंट लेकर अपने एक बच्चे को नौकरी देने की सुविधा दी जाए। श्री मिश्रा की बात से रेलवे बोर्ड को सहमत है किन्तु कई राज्यों पर हाईकोर्ट या कैट ने रोक लगाई है। ऐसी स्थिति में फाइनल डिसीजन होने में कुछ और वक्त लग सकता है। इस मामले में रेलवे बोर्ड ने अटॉर्नी जनरल से कानूनी सलाह लेने का निर्णय लिया है। उम्मीद की जा रही है कि एआईआरएफ के प्रयास से रेल कर्मचारियों के लिए बेहतर डिसीजन सामने आएगा।