झांसी

‘आजादी के दीवानों में जोश भरते थे राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के गीत’

राष्ट्रकवि की जयंती पर यूनिवर्सिटी में जुटे देश भर के साहित्यकार

झांसीAug 03, 2018 / 09:55 pm

BK Gupta

‘आजादी के दीवानों में जोश भरते थे राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के गीत’

झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सुरेंद्र दुबे ने कहा कि भारत के स्वाधीनता संग्राम में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के द्वारा रचित रचनाओं का भी अतुलनीय योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि स्वाधीनता संग्राम के समय में गुप्तजी की रचना भारत भारती को लोग कंठस्थ कर लिया करते थे तथा आजादी के दीवाने उनके गीतों को निरन्तर गाकर जन जागरण किया करते थे। उन्होंने कहा कि कालजयी रचना के लिए किसी भी रचनाकार के पास एक वैश्विक दृष्टि होना आवश्यक है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं। वह आज यहां राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जयन्ती पर भारतीय हिन्दी परिषद, इलाहाबाद तथा बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में महाकाव्यात्मक प्रतिभा मैथिलीशरण गुप्त विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। हिंदी विभाग के सभागार में आयोजित संगोष्ठी में प्रो.दुबे ने कहा कि जिस रचनाकार की रचना में काल और समय का समावेश नहीं होता है, उसकी रचनाएं प्रसिद्ध भले ही हो जाएं पर वे कालजयी नहीं हो सकती हैं।
रचनाओं से जनजागरण भी किया
कुलपति प्रो.सुरेंद्र दुबे ने कहा कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी रचनाओं में न सिर्फ काल व वातावरण का अद्भुत समन्वय किया बल्कि अपनी रचनाओं द्वारा जन जागरण का कार्य भी किया। प्रो. दुबे ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त ने पुनर्निर्माण तथा सुधारवाद के आंदोलनों को अपने साहित्य और काव्य में स्थान दिया। उनके काव्य में छायावाद के आने की आहट है।
पराधीन भारत में नवचेतना का सृजन किया
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो नंद किशोर पांडेय ने कहा कि इस संगोष्ठी के माध्यम से आज हम उस महामानव को स्मरण कर रहे हैं जिसने पराधीन भारत में नव चेतना का सृजन किया। उनका मानना था कि गुप्तजी के भारत भारती ने उस समय अतीत का स्मरण दिलाकर सोए हुए भारतीयों को जगाने का कार्य किया था। उन्होंने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त ने छायावाद, प्रगतिवाद तथा प्रयोगवाद को खड़े तथा विकसित होने के लिए एक सशक्त आधार तैयार किया। गुप्तजी के दिये आधार पर ही आज छायावाद, प्रयोगवाद तथा प्रगतिवाद की काव्य धाराएं विकसित हो पायी हैं। प्रो. पाण्डेय ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त ने राजनीतिक व सामाजिक आंदोलनों का बहुत ही सहजता से अपनी रचनाओ में काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया।
देशभक्ति का प्रचार किया
इससे पूर्व विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो. भरत सिंह ने कहा कि आज के युग में भी मैथिलीशरण गुप्त के द्वारा लिखे हुए महाकाव्यों की प्रासंगिकता है। उन्होंने महाकाव्यों के माध्यम से देश भक्ति का प्रचार किया। यशोधरा के माध्यम से नारी विमर्श एवं नारीवादी आन्दोलन को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा आवश्यकता है कि आज उनके महाकाव्यों को विविध आयाम में चिंतन कर उनका प्रस्तुतीकरण किया जाए। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो. रामकिशोर शर्मा ने कहा कि महाकाव्यों की अपनी परंपरा रही है। मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी रचनाओं के माध्यम से नवजागरण का उद्घोष किया था। कार्यक्रम का संचालन डा. मुन्ना तिवारी ने किया। आभार डा. अचला पाण्डेय ने व्यक्त किया।
ये लोग रहे उपस्थित
इस अवसर पर नरेन्द्र मिश्र, श्रवण कुमार मीना, अश्विनी कुमार शुक्ल, सभापति मिश्र, लक्ष्मण नारायण भारद्वाज, डा.नवेन्दु कुमार सिंह, संजय सक्सेना, पन्ना लाल ‘असर’, इला द्विवेदी, आलोक भारद्वाज, लक्ष्मी देवी मिश्रा, श्रीहरि त्रिपाठी, नवीन चन्द्र पटेल सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

Home / Jhansi / ‘आजादी के दीवानों में जोश भरते थे राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के गीत’

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.