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‘ऐसा स्वर्णिम है भारतीय महिलाओं का इतिहास, वह कभी अशक्त व अबला नहीं रही’

locationझांसीPublished: Mar 08, 2018 11:56:24 pm

Submitted by:

BK Gupta

‘ऐसा स्वर्णिम है भारतीय महिलाओं का इतिहास, वह कभी अशक्त व अबला नहीं रही’

seminar on international women's day in bundelkhand university

‘ऐसा स्वर्णिम है भारतीय महिलाओं का इतिहास, वह कभी अशक्त व अबला नहीं रही’

झांसी। भारतीय महिलाओं का इतिहास स्वर्णिम रहा है, वह कभी भी अशक्त एवं अबला नहीं रही है। भारतीय महिलाएं वैदिक काल से ही पुरुषों के बराबर ही रही हैं। यह विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सुरेंद्र दुबे पत्नी आशा दुबे ने व्यक्त किये। वह यहां यूनिवर्सिटी के बाबू जगजीवनराम विधि संस्थान एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, झांसी के संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रही थी। उन्होंने कहा कि भारत में वैदिक एवं उत्तर वैदिक काल में भी महिलाओं को गरिमामय स्थान प्राप्त था, उन्हें देवी, सहधर्मिणी अर्द्धांगिनी, सहचरी माना गया। पौराणिक काल में शक्ति का स्वरूप मानकर उसकी आराधना की जाती रही है। उनका मानना था कि वर्तमान परिस्थितियों में महिलाएं स्वयं सशक्त होकर अन्य महिलाओं तथा सम्पूर्ण समाज का उत्थान कर सकने में सक्षम है।
महिलाओं की दी प्रावधानों की जानकारी
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उत्तर प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ की सचिव श्रीमती ज्योत्सना शर्मा ने कहा कि भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार पुरुषों की तरह सभी क्षेत्रों में महिलाओं को बराबर के अधिकार दिये गये हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि महिलाओं को उनकी सुरक्षा तथा हितों के लिए संविधान में उल्लिखित प्रावधानों की जानकारी उन तक पहुंचे तथा वे उस जानकारी का उपयोग कर सकें। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का उल्लेख करते हुए भारतीय संविधान द्वारा महिलाओं को प्रदत अधिकारों का वर्णन किया। उन्होंने महिलाओं से संबंधित विभिन्न वादों का हवाला देते हुए महिला सशक्तिकरण हेतु बने प्रावधानों की जानकारी दी।
देश की तरक्की के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना होगा
इस अवसर पर सिविल न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) एवं सचिव जिला विधिक प्राधिकरण, झांसी न्यायमूर्ति मनोज पांडेय ने कहा कि कोई भी देश उन्नति पर तब तक नहीं पहुंच सकता, जब तक उस देश की महिलाएं पुरुषों के साथ कन्धे से कन्धा मिला कर न चलें। देश की तरक्की के लिए महिलाओ को सशक्त बनाना होगा। उन्होंने समाज को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन डा.ऋतु शर्मा ने किया, जबकि आमंत्रित अतिथियों का आभार डा.ओ.पी.सिंह ने ज्ञापित किया।
इस अवसर पर विधि संस्थान के समन्वयक डा.सरोज कुमार, डा.राजेश कुमार सिंह, डा.मंजू कौर, डा.सन्दीप वर्मा, डा.रीतेष अग्रवाल, डा. अपर्णा अग्रवाल, डा. अभिषेक सिंह सहित शिक्षक, शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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