गोष्ठी में आए इस तरह के विचार यूपी इलेक्शन वॉच(एडीआर) के तत्वावधान में राजकीय संग्रहालय सभागार में बुन्देलखण्ड के विकास में सरकार की प्राथमिकताएं और वर्तमान संदर्भ विषयक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें बुन्देलखण्ड के विकास के लिए मंथन किया गया। इसमें अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष व राज्यमंत्री हरगोविन्द कुशवाहा ने कहा कि बुन्देलखण्ड के विकास के लिए सरकार को अपनी प्राथमिकता के तौर पर बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड को ताकतवर बनाना होगा। तभी सच्चे मायने में विकास कार्यों में गति आएगी। हालांकि, इसके लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत भी है।
एक मंच से करनी होगी आवाज बुलंद इस मौके पर भाजपा नेता व पूर्व मंत्री डा.रवीन्द्र शुक्ल ने कहा कि बुन्देलखण्ड प्रथक राज्य निर्माण के लिए संघर्ष कर रहे दलों व संगठनों को एक मंच पर आकर आवाज बुलंद करनी होगी। वहीं, उन्होंने लोगों के सामने सवाल करते हुए कहा कि भला 7 जनपदों को लेकर राज्य निर्माण कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा कि हमें आपस में बिल्कुल नहीं लड़ना है, बल्कि मिलकर बुन्देलखण्ड राज्य के लिए संघर्ष करना है।
कांग्रेस नेता बोले- अफसर लगाते योजनाओं को पलीता इस अवसर पर अवैध खनन पर मुद्दा उठाते हुए पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रदीप जैन ने कहा कि बुन्देलखण्ड में आकर अधिकारी रातों-रात मालामाल हो जाते हैं। आखिर बुन्देलखण्ड के विकास की योजनाओं को पलीता लगाकर रातोंरात धन्नासेठ होने वाले इन अधिकारियों की जांच क्यों नहीं होती? उन्होंने कहा कि हर हालत में बुंदेलखंड का विकास प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए।
विकास के नाम पर केवल छल बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय ने कहा कि 72 सालों का इतिहास और बुन्देलखण्ड का सत्यानाश। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर बुन्देलखण्ड को केवल छला गया। नेता आए और अपना विकास करके चले गए। हमारा बुन्देलखण्ड आज भी उनके वायदों की बाट जोह रहा है और गरीबी से जूझ रहा है। इसका एक ही हल है, पृथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण।
इन्होंने भी रखी अपनी बात इस अवसर पर महानगर धर्माचार्य हरिओम पाठक ने पृथक राज्य निर्माण के लिए किए गए संघर्षों पर प्रकाश डाला। साथ ही विकास के लिए कई सुझाव दिए। इसके अलावा महापौर रामतीर्थ सिंघल, वर्ल्ड वॉटर काउंसिल के सदस्य व एडीआर के मुख्य प्रदेश समन्वयक संजय सिंह, बुन्देलखण्ड क्रांति दल के केन्द्रीय अध्यक्ष कुंवर सतेन्द्र पाल सिंह, एमएलसी प्रतिनिधि आरपी निरंजन, वरिष्ठ अधिवक्ता नरोत्तम स्वामी, किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरी शंकर बिदुआ, डा.सुनील तिवारी व अर्जुन सिंह चांद ने विचार व्यक्त किए।