script…इसलिए बढ़ रही है युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति | That's why Suicided increasing in youths | Patrika News

…इसलिए बढ़ रही है युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति

locationझांसीPublished: Dec 15, 2016 07:55:00 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

सभी ताकतें हमारे अन्दर ही होती हैं, यदि हम किसी कार्य के लिए संकल्प ले लें तो वह कार्य अवश्य ही पूरा होगा। हमें मात्र दृढ़ संकल्प के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। 

seminar

seminar

झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे ने कहा कि आज हमारे फेसबुक पर हजार मित्र हो सकते हैं, परन्तु बात करने के लिए एक भी उपलब्ध नहीं है। परिवारों में संवादहीनता की स्थिति के कारण युवा तथा बच्चे तनावपूर्ण जीवन जी रहे हैं। यही कारण है कि आज भारत में युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है। 

आज के समय में आवश्यकता इस बात की है कि हम जीवन कौशल विधाओं को कार्यशालाओं के माध्यम से युवाओं को उनकी आन्तरिक क्षमता के अनुसार कार्य करने को प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि सभी ताकतें हमारे अन्दर ही होती हैं, यदि हम किसी कार्य के लिए संकल्प ले लें तो वह कार्य अवश्य ही पूरा होगा। हमें मात्र दृढ़ संकल्प के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। प्रो. दुबे गुरुवार को विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में राष्ट्रीय सेवा योजना तथा राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान, क्षेत्रीय केन्द्र चण्डीगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में ‘जीवन- कौशलÓ पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे। 

संयुक्त परिवारों की जगह एकल परिवारों ने ले ली

इस अवसर पर मुख्य अतिथि नेहरू युवा केन्द्र, झांसी के जिला युवा समन्वयक डा. अतुल द्विवेदी ने कहा कि कौशल विकास की शिक्षा परिवार से ही मिलती हैं। आज हमारे समाज का दुर्भाग्य है कि संयुक्त परिवारों का स्थान एकल परिवारों ने ले लिया है। इससे परिवार के अन्दर ही हमारे रिश्ते लगभग समाप्त हो गये हैं। शायद ही किसी परिवार के सदस्यों के मध्य परिवार की समस्याओं पर आपसी संवाद होता हो। गांव व परिवार के हमारे बुजुर्ग ही हमारे लिए सर्वोत्तम कौशल विकास के प्रशिक्षक होते हैं। उन्होंने बताया कि जीवन शैली में बदलाव के कारण हमारे अधिकतर युवा तनाव का शिकार हो रहे हैं। 
कौशल विकास की इस कार्यशाला की मुख्य प्रशिक्षक राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान, चण्डीगढ़ की डा. अमनप्रीत कौर ने कहा कि वर्तमान में रोजगार की मांग और आपूर्ति में बहुत बड़ा अन्तर है। साथ ही युवा चाहे तो वह बहुत कुछ कर सकता है परन्तु इच्छानुसार परिणाम न मिल पाने के कारण वे तनावग्रस्त हो जाते हैं। कौशल विकास की कार्यशाला के माध्यम से युवाओं को जीवन जीने के तरीके बताये जाते हैं।

 मां होती है बच्चों की प्रथम पाठशाला

इस अवसर पर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. मुन्ना तिवारी ने कहा कि मां बच्चों की प्रथम पाठशाला होती है तथा हमारी भारतीय चिन्तनधारा उत्सव की धारा है। इस अवसर पर राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान, चण्डीगढ़ के कार्यक्रम सहायक योगेश शर्मा ने भी विचार व्यक्त किये। इससे पूर्व बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डा. एसके राय ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। 

ये लोग रहे उपस्थित

इस अवसर पर महारानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डा. मनोज यादव, डा. अमित जैन, डा. प्रशान्त मिश्रा, डा. सी पी पैन्यूली, डा. ओ पी सिंह, डा. मो. फुरकान, सतीश साहनी, डा. अजय गुप्ता, बृजेश कुमार, दिलीप कुमार, जयराम कुटार, अनिल बोहरे सहित कार्यशाला के प्रतिभागी उपस्थित रहे। संचालन डाक्टर मुहम्मद नईम ने किया। बाद में डा. श्वेता पांडेय ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो