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अब झांसी के सपनों को पंख देगा डिफेंस कॉरिडोर

locationझांसीPublished: Feb 23, 2018 11:26:27 am

Submitted by:

Mahendra Pratap

यूपी की राजधानी लखनऊ में आयोजित यूपी इन्वेस्टर समिट में बुन्देलखण्ड को डिफेंस कॉरिडोर को योगी सरकार द्वारा एक शानदार तोहफा दिया गया है।

UP Investor Summit 2018 defence corridor for Jhansi

झांसी : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित यूपी इन्वेस्टर समिट में बुन्देलखण्ड को डिफेंस कॉरिडोर को योगी सरकार द्वारा एक शानदार तोहफा दिया गया है। यह डिफेंस कॉरिडोर बुन्देलखण्ड में रो़जगार के अवसर पैदा करेगा, तो स्वरो़जगार के भी ढेरों अवसर आ सकते हैं। डिफेंस कॉरिडोर में निश्चित तौर पर कई नामचीन कम्पनी़यां आएंगी। जिनसे किसी भी तरह का मुकाबला नहीं किया जा सकता है। सुरक्षा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआइ होने से विदेशी कम्पनी़यां भी बुन्देली धरती पर नौकरियां व कारोबार लेकर आएंगी।

ऐसे में यदि हम सोचते हैं कि स्वरो़जगार कैसे सम्भव है, तो हम गलत सोचते हैं। इन कम्पनी़ज को छोटे-छोटे प्रोडक्ट चाहिए होते हैं, जिनकी आपूर्ति कर हम भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। यह एक बड़ा अवसर होगा, इसलिए आवश्यकता है कि इसे बिल्कुल भी जाने नहीं देना है। छोटी-छोटी प्रोडक्शन यूनिट हमेशा के लिए आपको आय का साधन मुहैया करा देंगी। पहले समझिए कि डिफेंस कॉरिडोर होता क्या है और स्टार्ट अप के सन्दर्भ में इसे कैसे देखा जाना चाहिए।

लाइट इंजीनियरिंग जैसे डिफेंस कॉरिडोर के लिए ढेरों स्टार्ट अप हैं, जिन्हें कम लागत में शुरु कर इससे लाभ कमाया जा सकता है। ऐसे स्टार्ट अप के बारे में हम आपको आगामी अंकों में जानकारी देते रहेंगे। ध्यान रखिए, ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा। प्रयास नहीं करेंगे, तो सरकार को दोष देने से कुछ नहीं मिलने वाला। कुछ हमारी सलाह, कुछ आपका प्रयास। फिर स्वरो़जगार बड़ी बात नहीं।

क्या होता है डिफेंस कॉरिडोर

डिफेंस कॉरिडोर का मतलब एक ऐसा रूट होता है, जहां सेना की जरूरत का सामान बनाया जाता है। इसमें जवानों की वर्दी से लेकर बड़े-बड़े हथियार, ग्रेनेड, टैंक, आर्मी ट्रक, ऐम्बुलेंस, हेल्मिट आदि शामिल हैं। बुन्देलखण्ड में डिफेंस कॉरिडोर आने से सेना के लिए हथियार व अन्य सामान बनाने वाली कम्पनी़यां उत्पादन यूनिट लगाएंगी। इससे स्थानीय क्षेत्र के लोगों को नौकरी के अवसर मिलेंगे। तो ये कम्पनी़यां छोटे-छोटे प्रोडक्ट स्थानीय लोगों से ही खरीदेंगी।

झांसी के उड़ान को फिर लगे पंख

डिफेंस कॉरिडोर में मुख्य रूप से हथियारों का ही निर्माण होता है। मैन्युअल हथियारों में नट-बोल्ट, डाइ, रिवेट्स आदि का इस्तेमाल किया जाता है। तो ऑटोमैटिक हथियारों में फ्यू़ज, वायर जैसी छोटी-छोटी पर मुख्य ची़जें इस्तेमाल की जाती हैं। स्टार्ट अप के माध्यम से इन पर फोकस किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर लाइट इंजीनियरिंग को एक बढि़या स्टार्ट अप माना जा सकता है। इसमें नट, बोल्ट, वॉशर, क्लिप्स, रिवेट्स आदि का उत्पादन शामिल होता है। नट, बोल्ट, वॉशर, क्लिप्स आदि सभी ची़जें माइका शीट व मेटल शीट से तैयार की जाती हैं। इन शीट्स को मशीनों के माध्यम से निश्चित लम्बाई-चौड़ाई में ढालकर तैयार किया जाता है फिर इसकी फिनिशिंग भी की जाती है।

लाइट इंजीनियरिंग के काम में वित्तीय आवश्यकता

लाइट इंजीनियरिंग के काम के लिए 1.25 लाख रुपए की लेथ मशीन, स्टैण्ड ड्रिल के लिए 9500, हैण्ड ग्राइण्डर के लिए 13,000, हैण्ड ड्रिलर के लिए 16,000, टूल्स के लिए 6,000, रिवेट मशीन के लिए 8,000, कटिंग टूल के लिए 8,000 व अन्य खर्चो के लिए 7000 रुपए खर्च करने की आवश्यकता होती हैं। कुल मिलाकर यह 3 लाख रुपए के आस-पास खर्चा आ जाता है।

कच्चा माल प्रति माह, कर्मचारियों की सैलरी

उत्पादन का लक्ष्य प्रति माह 2500 किलोग्राम होता है। इसके लिए 1675 किलोग्राम माइका शीट 55 रुपए किलोग्राम के हिसाब से 56,250 रुपए की, 1100 किलोग्राम मेटल शीट 87.25 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से 95,975 रुपए की व अन्य खर्चे 10 ह़जार रुपए तक हो जाते हैं। यह कुल मिलाकर 1.62 लाख रुपए हो जाते हैं। इस कार्य के लिए 1 मैनेजर 10 ह़जार रुपए प्रति माह, 2 कुशल श्रमिक 8 ह़जार रुपए प्रति माह के हिसाब से 16 ह़जार रुपए, एक हेल्पर 4 ह़जार रुपए के हिसाब से मानकर चलिए। बिजली का बिल 2 ह़जार रुपए, बिल्डिंग का किराया 3 ह़जार रुपए, टेलिफोन पर 500 रुपए व अन्य खर्चो के लिए 2,500 रुपए मानकर चलिए। जिस महीने से आप उत्पादन शुरू करने जा रहे हैं, उस माह प्लाण्ट, मशीन व कच्चा माल मिलाकर लगभग 6.50 लाख रुपए का खर्च आता है।

 

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