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बेहद कड़े मुकाबले में फंस गई बुंदेलखंड की यह सीट, बन रहे ऐसे सियासी समीकरण

locationझांसीPublished: Apr 08, 2019 01:10:23 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

सपा-बसपा गठबंधन की भाजपा को कड़ी चुनौती, कांग्रेस गठबंधन मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में…

Jhansi Lok Sabha Seat

बेहद कड़े मुकाबले में फंस गई बुंदेलखंड की यह सीट, बन रहे ऐसे सियासी समीकरण

बीके गुप्ता
ग्राउंड रिपोर्ट
झांसी. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की दीपशिखा महारानी लक्ष्मीबाई की नगरी और भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती के कब्जे वाली झांसी-ललितपुर संसदीय सीट इस बार कड़े मुकाबले में फंसी हुई नजर आ रही है। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर लगातार दो बार (12 वर्ष ) एमएलसी रहे श्याम सुंदर सिंह यादव को गठबंधन प्रत्याशी बनाया है। वह भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले घराने के उद्योगपति अनुराग शर्मा के सामने कड़ी चुनौती बनकर टक्कर देते नजर आ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस से गठबंधन के तहत इस सीट पर कांग्रेस के चिह्न पर उतरे जन अधिकार पार्टी के शिवशरण कुशवाहा मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं।
भाजपा को ‘मोदी मैजिक’ और आरएसएस का साथ
भाजपा उम्मीदवार अनुराग शर्मा के टिकट का नितिन गडकरी और आरएसएस के नागपुर मुख्यालय से कनेक्शन है। इसलिए आरएसएस इस सीट को प्रतिष्ठापूर्ण मानकर भाजपा संगठन के अंदर की कमजोर कड़ियों को टाइट करके चुनावी मिशन में पूरी मशीनरी को सक्रियता के साथ जुटाने जा रही है। ‘मोदी मैजिक’ भी उनके लिए संजीवनी का काम कर सकता है। इसके साथ ही उन्हें उनके संगठन बुंदेलखंड एकीकरण समिति की झांसी-ललितपुर जिलों में गांव-गांव स्तर तक फैली इकाइयों का भी लाभ मिलेगा। साथ ही उन्हें ब्राह्मण बाहुल्य इस सीट पर इकलौते ब्राह्मण प्रत्याशी होने का भी लाभ मिलने के भी कयास लगाये जा रहे हैं।
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गठबंधन ने यूं ही नहीं लगाया इस नेता पर दांव
समाजवादी पार्टी ने लगातार दो बार एमएलसी रहे श्याम सुंदर सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। एमएलसी के इस दायरे में झांसी-ललितपुर और जालौन जिलों के गांव आते हैं। इसमें इनके ग्राम प्रधान और अन्य स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधि वोटर होते हैं। ऐसे में लगातार 12 वर्ष तक एमएलसी रहने के कारण श्याम सुंदर सिंह यादव के गांव-गांव में राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले लोगों से संपर्क और सम्बंध हैं। इसके साथ ही उनकी उदार छवि के कारण बसपा के भी वोट ट्रांसफर होने में ज्यादा अड़चन नहीं है। इसके अलावा कांग्रेस द्वारा यह सीट जन अधिकार पार्टी को छोड़ दिए जाने के कारण मुसलमान मतदाता भी भाजपा को हराने के लिए श्याम सुंदर सिंह को मजबूत प्रत्याशी मानकर उनके साथ जा सकते हैं। वहीं, श्याम सुंदर सिंह यादव बीच के कुछ समय में भारतीय जनता पार्टी में भी रहे। इसलिए वह भाजपाई वोटों में भी सेंधमारी कर सकते हैं।
इन्हें जाति और कांग्रेस के वोटों का सहारा
झांसी सीट पर जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी के रूप में शिवशरण कुशवाहा कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। हालांकि, जन अधिकार पार्टी का कोई व्यापक जनाधार नहीं रहा है। वह केवल कुशवाहा बिरादरी के मतदाताओं और कांग्रेस के परंपरागत वोट के सहारे चुनाव मैदान में उतरे हैं। वह पूरे मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में रहेंगे। इसमें यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वह भाजपा और सपा-बसपा से जुड़े कुशवाहा समाज के मतदाताओं में कितनी सेंधमारी करने में कामयाब हो पाते हैं।
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