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झांसी

लगातार बिगड़ रहे हैं यहां के हालात, आने वाले 15 दिन हैं ज्यादा भारी

लगातार बिगड़ रहे हैं यहां के हालात, आने वाले 15 दिन हैं ज्यादा भारी

झांसीJun 05, 2018 / 12:34 pm

BK Gupta

water crisis in bundelkhand region

लगातार बिगड़ रहे हैं यहां के हालात, आने वाले 15 दिन हैं ज्यादा भारी

झांसी। जल-जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि 26 मई से शुरू हुई दस दिवसीय यात्रा में जो बुंदेलखंड की तस्वीर निकल के सामने आई है,वह बहुत भयानक है। इसके समाधान के लिए सरकारी व गैर सरकारी सभी तरह के प्रयास करने की जरूरत है। आने वाले 15दिन बुंदेलखंड के लिए बहुत कठिन होंगे। हम समाज के संपन्न लोगों से अनुरोध करते हुए वह गांवों को गोद लें और वहां के जल संकट को दूर करें। साथ ही सरकार से आग्रह करेंगे कि वह जल संकट को दूर करने के लिए गंभीरता से प्रयास करे।
समस्याओ का समाधान ही प्राथमिकता
बुंदेलखंड जल यात्रा का समापन समारोह वीरांगना सभागार में हुआ। समारोह में झांसी मंडल की अपर आयुक्त प्रशासन उर्मिला सोनकर ने कहा कि गांव की समस्याओं का समाधान शासन की प्राथमिकता में है। उन्होंने कहा कि आज बुंदेलखंड में जल संकट है और इससे सबसे ज्यादा महिलाओं को जूझना पड़ता है। इस बात का अंदाजा इस समारोह में उपस्थित महिलाओं की संख्या को देख कर लगाया जा सकता है। वैसे तो पूरे भारत में पानी का संकट बढ़ रहा है। शिमला जैसी बर्फ से आच्छादित जगहों में भी पानी खत्म हो गया है। ये हम सब को सोचने की जरूरत है कि आने वाले दिनों में पानी हम सब से दूर हो जाएगा। यदि हमने समय रहते उपाय नहीं किया तो काफी मुश्किले आएंगी। उन्होंने कहा कि इसका समाधान सिर्फ पेड़ पौधे लगाने और जंगलों व प्राकृतिक संसाधनों को बचाने से संभव है। उन्होंने गांवों में कुओं और तालाबों के संरक्षण के लिए पंचायतों को आगे आने के लिए कहा।
तालाब होंगे अतिक्रमण मुक्त
अपर आयुक्त प्रशासन ने कहा कि गांवों में तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए झांसी मंडल में अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने महिलाओं की उपस्थिति को देखते हुए कहा कि महिलाएं चाहे तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। पर्यावरण दिवस पर उन्होंने नीम, पीपल, बरगद को लगाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पेड़ को बच्चों की तरह पालने की जरूरत है।
ऐसे हैं हालात
इस मौके पर झांसी जिले की मानपुर गांव की महिलाओं ने पानी के समाधान के लिए बनाई गई पंक्ति को आवश्यकता के अनुरूप बहुत कम होना बताया। बैदोरा गांव की महिलाओं ने बताया कि तीन लोगों के चलाने के बावजूद भी पानी नहीं निकल रहा है। गांवों में हाहाकार है। खजरा बुजुर्ग की महिलाओं ने बताया कि पानी को लेकर हैंडपंपों पर झगड़े हो रहे हैं। इससे पुलिस की आमदनी बढ़ गई है। रसीना गांव के प्रधान ने कहा कि गांव में जल संकट को दूर करने के लिए बबीना पाइप लाइन से एक पाइप गांव के लिए भी जोड़ी जानी चाहिए। जालौन के पचनद क्षेत्र के गांव सुल्तानपुरा में मात्र एक हैंडपंप काम कर रहा है। गांव के अधिकांश लोग पलायन कर चुके हैं। तालबेहट की जल सहेली सिरकुबाई ने बताया कि लालौन गांव में न पानी है न भोजन है। यहां पर उपस्थित गांव वालों ने गांवों को सूखा राहत कार्यक्रम में शामिल करने की मांग की। बुंदेलखंड जल संवाद यात्रा के अगुवा अमित त्रिपाठी ने बताया कि यह यात्रा चित्रकूट के मंदाकनी तट से शुरू हुई, जो बाद में चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, महोबा, झांसी,जालौन, ललितपुर के 51 गांवों में गई। यात्रा के दौरान पाया गया कि समूचा बुंदेलखंड जल संकट से ग्रसित है। सरकारी वादे चाहे जो भी हो, लेकिन गांवों की हकीकत इससे भिन्न है।
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