रक्तदान के लाभ · रक्तदान के तुरन्त बाद ही नई लाल कोशिकाएं बनने से शरीर में स्फूर्ति पैदा होती है। · रक्तदान करते रहने से दिल की बीमारी में पांच प्रतिशत कमी आती है। साथ ही अस्थि मज्जा (BONE MARROW)लगातार क्रियाशील रहती है।
· रक्त द्वारा संक्रमित होने वाली बीमारियां की नैट विधि द्वारा स्वतः जांच हो जाती है। · आवश्यकता पड़ने पर रक्तदाता कार्ड के बदले रक्तकोष से रक्त मिल जाता है। ये लोग कर सकते हैं रक्तदान
· रक्तदान 18 वर्ष से 65 वर्ष का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति कर सकता है। · रक्तदान के दौरान सामान्यतः 350 मिली लीटर लिया जाता है। · रक्तदान में करीब 10 मिनट का समय लगता है और हर तीन माह में रक्तदान किया जा सकता है।
· रक्तदान से शरीर में किसी प्रकार की कमजोरी नहीं आती है। · रक्तदाता का हीमोग्लोबिन 12॰5 ग्राम प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए। · रक्तदाता का वजन कम से कम 50 किलोग्राम होना चाहिए।
· रक्त चार प्रकार का होता है। ए, बी, ओ और एबी। इसे आरएच पॉज़िटिव और आरएच निगेटिव में बांट दिया जाता है। ये है चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना- रक्तदान के बारे में मेडिकल के पैथोलोजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा॰ मयंक सिंह बताते हैं कि पिछले पांच वर्षों में कैम्पों के जरिये लोगों के व्यवहार में बदलाव आया हैं। अब काफी लोग रक्तदान करने के लिए आगे आते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सामाजिक रूढ़िवादिताओं में फंसे हुये हैं। उन्हें लगता हैं कि रक्तदान करने से कमजोरी हो जाएगी या वह काम नहीं कर पाएंगे, जबकि रक्तदान करने से रक्त फिर से री-साइकल होता है और ताजा खून बनता हैं।
वहीं जिला अस्पताल ब्लड बैंक के इंचार्ज डा॰ एम॰एस॰ राजपूत बताते हैं कि अभी सिर्फ खून के बदले खून ही नहीं, बल्कि खून में पाये जाने वाले कंपोनेंट के आधार पर खून को विभाजित भी किया जाता है। वह बताते हैं कि रक्त से चार अवयव/कंपोनेंट यानी कि लाल रक्त कोशिकाएं, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट बनता है। ऐसे में आपके एक यूनिट रक्त से सैकड़ों मरीजों में जिस मरीज को जिस कंपोनेंट की आवश्यकता होती है, दिया जा सकता है। वह बताते हैं कि हर महीने 150-200 रक्त यूनिट इकट्ठा की जाती है और इतना ही आपूर्ति में चला जाता है। वहीं जननी सुरक्षा योजना के तहत लाभार्थी को या कैंसर के मरीजों को निशुल्क रक्त उपलब्ध कराया जाता है।