अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही से 7.50 लाख पौधे नष्ट, अब ऑडिट
50 करोड़ रुपए खर्च कर 9 लाख पौधे लगाए गए। वर्ष 2015 से 2019 तक लगाए गए इन पौधों में से जीवित पौधों की गणना करवाने पर पांच साल बाद केवल 1 लाख 22 हजार पौधे जिंदा पाए गए

झुंझुनूं. जिले की ग्राम पंचायतों की ओर से पांच साल के दौरान नरेगा योजना में 50 करोड़ रुपए खर्च कर 9 लाख पौधे लगाए गए। वर्ष 2015 से 2019 तक लगाए गए इन पौधों में से जीवित पौधों की गणना करवाने पर पांच साल बाद केवल 1 लाख 22 हजार पौधे जिंदा पाए गए। लक्ष्य पूरे करने की गर्ज से लगाये गये पौधों की सुरक्षा के नाम पर परिसरों के चारों ओर खाई खोदी गई, चौकीदार रखे गये, तथा टैंकर द्वारा पानी की भी व्यवस्था की गई, परन्तु ग्राम पंचायतों के कर्मचारियों की बेरुखी के चलते पाले से बचाव के उपाय नहीं करने तथा स्थाई चौकीदार की व्यवस्था नही होने पर 85 प्रतिशत पौधे नष्ट हो गए।
पांच वर्षों के अनुभव से सबक लेते हुए इस बर्ष जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट ने सभी ग्राम पंचायतों के सचिवों, सरपंचों, तथा तकनीकी अधिकारियों को पाबन्द किया है कि ग्राम पंचायतों द्वारा लगाये गये पौधों को पंचायत के स्थायी स्टॉक रजिस्टर में दर्ज किया जाकर साल में दो बार सत्यापन करवाया जावे। जिस कर्मचारी के समय मे पौधे नष्ट होते हैं, उसकी जिम्मेदारी तय की जायेगी। जिला परिषद द्वारा इस साल जारी सभी स्वीकृतियों में पौधों की समयबद्ध निराई गुड़ाई, टैंकर द्वारा साल में कम से कम 5 बार सिंचाई, वृक्षमित्र के रूप में स्थाई नरेगा श्रमिकों को परिसर विशेष की जिम्मेदारी तय करने तथा वित्त आयोग से प्राप्त अनुदानों से वनस्पति व सीमेंट के ट्री गार्ड की व्यवस्था की गई हैं। जिला परिषद ने ग्राम पंचायतों को प्राप्त अनुदानों से पौधरोपण तथा परिसरों की हरियाली के कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं।
अब पाइए अपने शहर ( Jhunjhunu News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज