यह कहना है सीआरपीएफ के निरीक्षक झुंझुनूं जिले के गांव सिरसला निवासी अजय सिंह का। 34 साल के अजय सिंह का कहना है कि किसी भी सरकार की योजना पर अपना व्यक्तिगत निर्णय तभी निर्धारित करें जब आपको उस योजना के बारे में अच्छे से जानकारी हो, ना की किसी दूसरे से सुनकर आप अपना निर्णय निर्धारित करें ।
अगर आपको सरकार की किसी योजना से असहमति है तो उसका विरोध करने के लिए अशांति या हिंसा का रास्ता न अपनाएं। अपना पक्ष रखने के लिए स्थानीय प्रशासन को अपना विरोध ज्ञापन सौंप सकते हैं। विरोध में स्थानीय प्रशासन की अनुमति के बाद कैंडल मार्च निकाल सकते हैं।
आपके द्वारा किया गया शांतिपूर्वक प्रदर्शन जितना प्रभावी रहेगा, उतना हिंसा के रूप में किया गया प्रदर्शन नहीं रहेगा। हिंसा का रास्ता अपनाकर आप अपने विकास का रास्ता भी अवरुद्ध करते हैं और साथ-साथ अपने समाज का विकास भी अवरुद्ध करते हैं ।
दस-दस लाख के इनामी नक्सली को मारा था
मैंने 27 जुलाई 2012 में सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यभार संभाला। पहली पोस्टिंग के दौरान मैंने श्रीनगर में अपनी सेवा दी। उसके बाद में सीआरपीएफ की स्पेशल फोर्स कोबरा बटालियन 209 में झारखंड में पोस्टेड हुआ। कोबरा बटालियन में रहते हुए मैंने 24 फरवरी 2019 को एक स्पेशल अभियान के दौरान आतंक के पर्याय बन चुके 10 - 10 लाख के इनामी नक्सली गज्जू गोप और उसके साथियों को मार गिराया। इस दौरान अपनी टीम को भी बचाए रखा। गज्जू गोप झारखंड के गुमला व खूंटी जिले में आतंक का पर्याय बन चुका था। उसने कई नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया था, जिससे वहां का माहौल बहुत ही दहशत और भय पूर्ण हो चुका था। राष्ट्रपति उनको वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित कर चुके।
रगो में दौड़ता फौजी का खून
पिता विजय सिंह सेना में नायब सूबेदार से रिटायर हो चुके। परिवार के अन्य 10 सदस्य सेना में हैं। कुछ रिटायर्ड हो चुके, अनेक सेवारत हैं। मां सुमित्रा गृहिणी हैं। अजय ङ्क्षसह 9 सितंबर 2020 से एनडीआरएफ में निरीक्षक पद पर सेवा दे रहे हैं।
युवाओं को संदेश -
-अपना लक्ष्य निर्धारित करो।
-लक्ष्य प्राप्ति के लिए रास्ता निर्धारित करो। जितना महत्वपूर्ण आपका लक्ष्य है उतना ही महत्वपूर्ण उस लक्ष्य को पाने के लिए आपका रास्ते का चुनाव है।
-पैशन को ही प्रोफेशन बनाओ।