जब यह बांध भर जाता था तब डाडा फतेहपुरा, नालपुर, त्यौन्दा, मेहाड़ा, गौरीर, दूधवा तक के कु ओं का जलस्तर बढ़ जाता था। परन्तु वर्तमान में बांध में विलायती कीकरों ने कब्जा जमा रखा है। बांध की पाल व बांध के भीतर विलायती कीकर उगी हुई है। इसके अतिरिक्त इस बांध के पानी के आवक क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक एनीकट अलग-अलग एजेन्सियों ने बना दिए हैं। पानी के भराव क्षेत्र में स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर उसमे खेती शुरू कर दी है।
20 अगस्त 2010 को आई तेज वर्षा से अजीत सागर बांध कई वर्षो बाद पूर्ण रूप से भरा था तथा इसकी चादर चली थी। अजीत सागर बांध से नहर निकली हुई है। नहर के द्वारा डाडा फतेहपुरा व नालपुर गांवों में सिंचाई के लिए पानी दिया जाता था। डाडा फतेहपुरा के वरिष्ठ नागरिक मोहनसिंह निर्वाण ने बताया कि जब बांध पूरा भर जाता था तब दोनों गांवों की सम्पूर्ण सिंचाई हो जाती थी तो मात्र आधा फीट पानी खाली होता था। बांध की पाल पर दो मंजिला विश्रामगृह भी बना हुआ है, परन्तु देखरेख व अभाव में इस भवन के किवाड़ भी लोग तोड़ ले गए।
बांध की भराव क्षमता 45 फीट है। #bandh in jhunjhunu
क्या कहते है एक्सपर्ट
सिंचाई विभाग के अधीनअजीत सागर बांध खेतड़ी में ठिकाना के समय का बना बडा बांध है। इसमे मिट्टी छंटाई, विलायती कीकरों को हटाने के प्रस्ताव जिला कलक्टर झुंझुनूं के यहां दिए हैं। स्वीकृति मिलते ही इसका कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।
-बीआर जाट,अधिशाषी अभियंता सिंचाई विभाग, सीकर
ग्रामीण कन्हैया लाल स्वामी,बद्री प्रसाद सैनी,बनवारी लाल स्वामी, मुकेश सैनी, कैदार सैनी सहित अन्य ने बताया कि पिछले साल करीब 24 वर्ष बाद काटली नदी आई थी । अबकी बार भी लोगों को काटली के आने का इंतजार है। वहीं काटली के बहाव में सीकर व झुंझुनूं सीमा पर पचलंगी के राजस्व गांव काटलीपुरा में बने सबसे काल्यादह बांध पर वर्ष 2008 में चादर चली थी। इसके दो वर्ष बाद 2010 में भी बांध भरा था। उसके बाद 2019 में चादर चली। लेकिन बांध अभी सूखा पड़ा है। गांव के परसाराम सैनी, पूर्व सरपंच गिरधारी लाल सैनी, कमला भावरिया, रामेश्वर लाल सैनी, दीनाराम सैनी सहित अन्य ने बताया कि बांध का निर्माण ग्रामीण अंचल में बने जल स्रोतों में पानी की आवक के लिए 1995 में भूसर्वेक्षण विभाग झुंझुनूं के द्वारा हुआ था।