VIDEO : आजादी के पहले लुटेरे गौरे हुआ करते थे, अब इनका रंग काला हो गया -अन्ना हजारे
अन्ना ने कहा कि देश में किसान की स्थिति माल खाए मदारी और नाच करे बंदर जैसी हो गई है।
झुंझुनूं.
सामाजिक कार्यकर्ता एवं जनलोकपाल कानून के प्रणेता अन्ना हजारे ने कहा है कि राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के कारण देश को लोकतंत्र से हुकुमतंत्र की ओर ले जा रहे हैं। इससे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का ढांचा बिगड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमें देश में लोकतंत्र का बचाना है तो सब को संगठित होकर आन्दोलन की राह पर आना होगा। उन्होंने सभी से 23 मार्च से दिल्ली के रामलीला मैदान में शुरू होने वाले आमरण अनशन में भागीदारी निभाने का भी आह्वान किया।
अन्ना हजारे शुक्रवार को यहां शहीद स्मारक पर जनसभा का सम्बोधित कर रहे थे। अन्ना ने कहा कि देश का अन्नदाता आज कर्म के तले दब रहा है और इससे परेशान होकर आत्महत्याएं कर रहा है। इसके बाद भी सरकार उनको उनकी मेहनत का मोल नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि वे सरकार से किसानों को उपज की लागत के अनुसार मूल्य देने की मांग लम्बे समय से कर रहे हैं, लेकिन इस ओर कोई गंभीर नहीं है। अन्ना ने कहा कि सरकार को किसान की उपज के लागत के अनुसार भुगतान, साठ साल की उम्र के बाद किसान को पांच हजार रुपए पेंशन दी जाने चाहिए। जब तक सरकार इसे स्वीकृत नहीं करती। उनका आन्दोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री को इस बारे में दस बार से अधिक पत्र लिख चुके हंै, लेकिन सरकार इसका जवाब नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि जब बड़े-बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ किए जा सकते है, तो फिर किसानों का कर्जा सरकार माफ क्यों नहीं करती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2011 में हुए आन्दोलन के बाद जनलोकपाल कानून तैयार किया, लेकिन भाजपा ने वर्ष 2016 में मात्र एक ही दिन में विधायक एवं सांसदों के भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने वाली धारा 44 को हटा लिया गया। इससे सरकार एवं राजनीतिक दलों की मंश का साफ पता चलता है। अन्ना ने कहा कि किसानों के कर्ज माफी, मूल स्वरुप में जनलोकपाल विधेयक लागू करने की मांग को लेकर इस बार 23 मार्च से जो आन्दोलन शुरू होगा वह जब तक कानून नहीं बन जाता तब तक जारी रहेगा। सभा को अन्ना के अतिरिक्त कर्नल डीके नैन एवं कमाण्डर यशवंत प्रकाश ने सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में अब भी एक मजबूत लोकतंत्र को स्थापित करने एवं भ्रष्टतंत्र को समाप्त करने के लिए अन्ना आन्दोलन कर रहे है। उन्होंने कहा कि पूर्व के आन्दोलन में सरकारों ने धोखा देकर कानून को कमजोर कर दिया लेकिन इस बार आन्दोलन उस समय तक जारी रहेगा जब तक मांगे पूरी तरह से कानून नहीं बन जाती। मंच पर शिवकरण जानू, पूजा छाबड़ा, कैप्टन मोहन लाल, दिनेश सूण्डा आदि भी मौजूद थे। वहीं अन्ना को सुनने के लिए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह भी कार्यक्रम में पहुंची।
नशामुक्ति का आह्वान
अन्ना ने अपने उद्बोधन के दौरान युवाओं से नशे से दूर रहने का भी आह्वान किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि नशे में जहां पर शरी की बार्बादी हो रही है वहीं हमारा एवं समाज का विकास भी रूक जाता है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे भी देश की सेवा के लिए संकल्पित हो।
देश के दुश्मन ही खा रहे देश को
अन्ना ने कहा कि आजादी के पहले गौरे लुटेर थे आजादी के बाद इनका रंग काला हो गया। केवल कमाने एवं खाने की चाह में देश के अन्दर ही देश के दुश्मन उसे लुटने में लगे हुए है।इन्होंने अपने राजनीतिक स्वार्थों के कारण ही देश को कमजोर कर दिया है। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा कि जिस देश में आजादी के लिए इतनी कुर्बानी दी उस देश के हालात ऐसे हो जाएंगे।
माल खाए मदारी, नाच करे बंदर
अन्ना ने कहा कि देश में किसान की स्थिति माल खाए मदारी और नाच करे बंदर जैसी हो गई है। किसानों की उपज का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा लेकिन बीच के लोग इसकी मलाई खा रहे है। किसानों को खेती का खर्चा आधारित मूल्य मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब चुनाव आ गए है तो सभी राजनीतिक दलों की ओर से लुभावने आश्वासन आने लगे हंै लेकिन जनता को इसमें बहकना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान जो तकनीक खेती के लिए अपनाता है उन यंत्रों को भी सरकार को जीएसटी मुक्त करना चाहिए।
नाक दबाने पर खुलता मुंह
अन्ना ने अपने उदबोधन के दौरान चुटकी लेते हुए कहा कि जब तक नाक नहीं दबेगी तब तक मुंह भी नहीं खुलता है। उन्होंने कहा कि हमने महाराष्ट्र में संगठन बनाकर सरकार की नाक दबाई तब सरकार ने सात कानून पास करके अपना मुंह खोला। इसलिए देश में अब भी सरकार एवं राजनीतिक दलों की नाक दबाने की जरूरत है।
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