मोदी और राहुल का दिमाग उद्योग में- अन्ना हजारे पीएम मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका दिमाग उद्योग में बैठा हुआ है। देश में उद्योगपतियों के अरबों के कर्जे माफ हो रहे है। किसानों के बारे में सरकार सोच भी नहीं रही है। जब तक इनके दिमाग में किसान नहीं बैठेगा, तब तक इस देश में बदलाव नहीं आ सकता है। जनसभा को संबोधित करते हुए हजारे ने कहा कि राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के कारण देश को लोकतंत्र से हुकुमतंत्र की ओर ले जा रहे हैं। इससे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का ढांचा खराब हो रहा है। यही कारण है कि देश का अन्नदाता आज कर्म के तले दब रहा है। इतना ही नहीं परेशान होकर आत्महत्याएं भी कर रहा है। बावजूद इसके सरकार उनको उनका हक नहीं दे रही है। ऐसे में बिना आंदोलन के लोकतंत्र को बचाना आसान नहीं होगा।
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किसानों के मामले पर बोलते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि सरकार से किसानों को उपज की लागत के मुताबिक मूल्य देने की मांग वो लम्बे समय से कर रहे हैं, लेकिन इस ओर कोई गंभीर नहीं है। जब तक किसानों के लिए इस मांग के अलावा साठ साल की उम्र के बाद उन्हें हजार पेंशन नहीं देती तब तक उनका आन्दोलन जारी रहेगा। उन्होंने ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इस संबंध में वो पीएम मोदी को 10 बार से अधिक पत्र लिख चुके हैं लेकिन सरकार इसका जवाब नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि जब बड़े-बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ किए जा सकते हैं। तो फिर किसानों का कर्ज सरकार माफ क्यों नहीं करती है। किसान जो तकनीक खेती के लिए अपनाता है उन यंत्रों को भी सरकार को जीएसटी मुक्त करना चाहिए। जनलोकपाल को लेकर कहा- जनलोकपाल कानून पर बोलते हुए अन्ना ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने साल 2011 में हुए आन्दोलन के बाद जनलोकपाल कानून तैयार किया, लेकिन भाजपा ने साल 2016 में मात्र एक ही दिन में विधायक एवं सांसदों के भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने वाली धारा 44 को हटा लिया गया। इससे सरकार और राजनीतिक दलों की मंश का साफ पता चलता है।अन्ना ने कहा कि किसानों के कर्ज माफी, मूल स्वरुप में जनलोकपाल विधेयक लागू करने की मांग को लेकर इस बार 23 मार्च से जो आन्दोलन शुरू होगा। तो वहीं जब तक कानून नहीं बन जाता तब तक यह आन्दोलन जारी रहेगा।
माल खाये मदारी, नाच करे बंदर- अन्ना ने कहा कि देश में किसानों की स्थिति माल खाये मदारी और नाच करे बंदर जैसी हो रही है। किसानों की उपज का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा लेकिन बीच के लोग इसकी मलाई खा रहे हैं। साथ ही उन्होंने चुनावी फिजा को लेकर कहा कि अब चुनाव आ गए हैं तो सभी राजनीतिक दलों की ओर से लुभावने आश्वासन आने लगे हैं, लेकिन जनता को इसमें बहकना नहीं चाहिए।
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