कब शुरू होगी यूनिट यूनिट तभी चालू हो सकती है जब इसके लिए टेक्निकल सुपरवाइजर हो। परंतु फिलहाल टेक्निकल सुपरवाइजर की नियुक्ति नहीं की गई है। टेक्निकल सुपरवाइजर की नियुक्ति के बाद ड्रग कंट्रोलर इसका निरीक्षण कर ब्लड बैंक सेंटर गाजियाबाद जाती है। जहां से रिपोर्ट ब्लड कारपोरेशन जयपुर भेजी जाएगी। जहां से लाइसेंस जारी होगा और यूनिट शुरू हो पाएगी। हाल ही में झुंझुनूं दौरे पर आए प्रभारी सचिव से ब्लड सेपरेशन यूनिट के शुरू होने के बारे अस्पताल प्रबंधन के बारे में अवगत करा चुका है। इसके अलावा उच्चाधिकारियों से कई बार पत्र व्यवहार किया जा चुका है।
क्या होती है ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट ब्लड कंपानेंट सेपरेशन यूनिट हमारे खून में मौजूद कंपोनेंट को अलग-अलग करने का कार्य करती है। जानकारों की मानें तो ब्लड में चार प्रकार के कंपोनेंट आरबीसी, डब्लूबीसी, प्लेटलेटस और प्लाज्मा होते हैं। उदाहरण के तौर पर बात की जाए तो कई प्रकार के रोगों में पीड़ित को अलग-अलग कंपोनेंट चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। परंतु सरकारी अस्पतालों में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट नहीं होने से रोगी को कंपोनेंट को अलग किए बिना ही खून चढ़ाना पड़ता है। जो उसकी बॉडी में अनावश्यक भार डालता है। यूनिट के शुरू हो जाने के बाद जिस रोगी को जिस कंपोनेंट की जरूरत होगी, वहीं चढ़ाया जाएगा। गौरतलब रहे कि वर्तमान में जिले के कुछेक निजी अस्पतालों के यहां पर ब्लड सेपरेशन यूनिट चल रही है, जो रोगियों से मुंह मांगी कीमत पर ब्लड कंपोनेंट उपलब्ध कराते हैं।
इनका कहना है... ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट के लिए सेंट्रीफ्यूज मशीन आ चुकी है। इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दी जा चुकी है। टेक्निकल सुपरवाइजर के लिए और यूनिट को चालू कराने के लिए उच्चाधिकारियों से पत्र व्यवहार किया जा चुका है। ताकि लाइसेंस की कार्रवाई हो सके। झुंझुनूं दौरे के दौरान प्रभारी सचिव को भी अवगत कराया जा चुका है।
डा. वीडी बाजिया, पीएमओ बीडीके अस्पताल (झुंझुनूं)