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यह है छोरा साइकिल वाला

locationझुंझुनूPublished: Oct 28, 2021 01:43:47 pm

Submitted by:

Rajesh

24 वर्ष के जैरी ने बताया, साइकिल के अनेक फायदे हैं। पहला साइकिल चलाने वाले व्यक्ति फिट रहते हैं। पर्यावरण का बचाव होता है। बीमारी पर खर्च होने वाले पैसे बचते हैं। देश में राजमार्गों के बराबर अलग से साइकिल ट्रैक बनाने चाहिए।

यह है छोरा साइकिल वाला

यह है छोरा साइकिल वाला

#chora cycle wala

झुंझुनूं. यह है छोरा साइकिल वाला…। असली नाम तो जैरी चौधरी है, लेकिन अब इसकी पहचान छोरा साइकिल वाला के नाम से हो गई है। राजस्थान के झुंझुनूं जिले के चिड़ावा उपखंड के बुडानिया गांव के रहने वाले जैरी चौधरी आमजन को फिट रखने व पर्यावरण बचाने का संदेश देने के लिए एक नवम्बर 2021 से कश्मीर से कन्याकुमारी का साइकिल से सफर शुरू करेंगे। इस दौरान वे गांवों व कस्बों के स्कूलों में व रास्ते में लोगों को साइकिल चलाने के प्रति जागरूक करेंगे। अपनी यात्रा शुरू करने के लिए जैरी झुंझुनूं से रेल से दिल्ली के लिए बुधवार को रवाना हो गए। वे 31 अक्टूबर को कश्मीर के लाल चौक पहुंचेंगे। वहां से एक नवम्बर से कन्याकुमारी के लिए रवाना होंगे। चार हजार किलोमीटर का सफर वे करीब एक माह और नौ दिन में पूरा करेंगे। उनका 9 दिसम्बर को कन्याकुमारी पहुंचने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। हर दिन से औसत सौ से 120 किलोमीटर साइकिल चलाएंगे।
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इतने राज्य आएंगे
वे देश के सबसे लम्बे राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 44 से गुजरेंगे। इस राजमार्ग पर जम्मूकश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, एमपी, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक व तमिलनाडू होते हुए कन्याकुमारी पहुंचेंगे। साइकिल में वे अपने साथ एक्सट्रा टायर,ट्यूब, पंचर का सामान, पोर्टेबल टेंट, हैल्थकिट, कपड़े व अन्य सामान साथ रखेंगे। उनके साथ करीब चालीस किलो वजन रहेगा।
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देश में बने साइकिल ट्रेक
24 वर्ष के जैरी ने बताया, साइकिल के अनेक फायदे हैं। पहला साइकिल चलाने वाले व्यक्ति फिट रहते हैं। पर्यावरण का बचाव होता है। बीमारी पर खर्च होने वाले पैसे बचते हैं। देश में अनेक लोग साइकिल चलाना चाहते हैं, लेकिन भारत में कहीं भी साइकिल ट्रेक नहीं है। राजमार्गों के बराबर अलग से साइकिल ट्रैक बनाने चाहिए। जिस पर केवल साइकिल चलाने की ही अनुमति हो। नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम की तर्ज पर केन्द्र व राज्य सरकारों को इस तरफ सोचना चाहिए।
अगला लक्ष्य सिंगापुर
यात्रा शुरू करने से पहले वे राजस्थान पत्रिका कार्यालय आए। यहां उन्होंने बताया कि दिल्ली विवि से बीए ऑनर्स अंग्रेजी की पढ़ाई कर चुके। वे इससे पहले दिल्ली से राजस्थान के झुंंझुनूं व दिल्ली से जैसलमेर की दो हजार किलोमीटर लम्बी यात्रा साइकिल से कर चुके। अब अगला सपना दिल्ली से सिंगापुर तक साइकिल से जाने का है। साइकिल यात्रा में उसके फौजी पिता राजेन्द्र सिंह झाझडिय़ा, मां किरण व रिटायर्ड फौजी दादा सांवलराम का पूरा सहयोग रहता है।
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