झुंझुनू

desi gaay अब देसी गायों का दूध गटकेगा राजस्थान

अब लम्पी का असर कम होने पर कार्यक्रम फिर से गति पकडऩे लगा है। कृत्रिम गर्भाधान में चार देसी नस्लों को प्राथमिकता दी जा रही है। पहले इसमें होलेस्टियन व जर्सी नस्ल के विदेशी गोवंश ज्यादा काम में लिए जाते थे। देसी गायों की चारों नस्ल सबसे ज्यादा दूध देने के लिए प्रसिद्ध है। इनमें गिर नस्ल की गाय गुजरात के गिर क्षेत्र में ज्यादा पाई जाती हैं।

झुंझुनूDec 17, 2022 / 10:14 pm

Rajesh

desi gaay अब देसी गायों का दूध गटकेगा राजस्थान

Cow A 2 Milk
झुंझुनूं. राजस्थानवासी अब विदेशी गायों की बजाय देसी गायों का दूध गटकेंगे।
वर्ष 2020 में शुरू हुए राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के पहले चरण में कुछ गांव व कुछ जिले ही शामिल थे। अब अगस्त से राजस्थान के सभी जिलों में कार्यक्रम का चौथा चरण शुरू हुआ है। शुरुआत के समय लम्पी बीमारी आ गई थी।
अब लम्पी का असर कम होने पर कार्यक्रम फिर से गति पकडऩे लगा है। कृत्रिम गर्भाधान में चार देसी नस्लों को प्राथमिकता दी जा रही है। पहले इसमें होलेस्टियन व जर्सी नस्ल के विदेशी गोवंश ज्यादा काम में लिए जाते थे। देसी गायों की चारों नस्ल सबसे ज्यादा दूध देने के लिए प्रसिद्ध है। इनमें गिर नस्ल की गाय गुजरात के गिर क्षेत्र में ज्यादा पाई जाती हैं।
इन नस्लों को प्राथमिकता
साहीवाल
गिर
थारपारकर
राठी

केन्द्र वहन कर रहा राशि
कार्यक्रम के तहत गर्भाधान पर पशुपालक से कोई राशि नहीं ली जाती है। पशुपालक व पशु के आंकड़े ऑनलाइन दिल्ली में कार्यक्रम के अधिकारियों को भेजे जाते हैं। वे पशुपालक से फोन के माध्यम से सत्यापन करते हैं। सही मिलने पर विभाग को प्रति गर्भाधान 240 रुपए दिए जाते हैं।
देसी गायों की संख्या कम
राजस्थान में गायों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन देसी गायों की संख्या कम है। अकेले झुंझुनूं जिले में देसी गोवंश एक लाख से कम है, जबकि विदेशी/संकर गोवंश की संख्या दो लाख के निकट पहुंच गई है।
झुंझुनूं जिला
देसी गोवंश : 77673
विदेशी गोवंश : 191423
कुल गोवंश : 269096
कुल : 13.9 मिलीयन गोवंश
वर्ष 2019 में हुई पशुगणना के अनुसार पूरे राजस्थान में गोवंश की संख्या 13.9 मिलीयन थी। सबसे ज्यादा गोवंश उदयपुर व सबसे कम धौलपुर में था। गोवंश में राजस्थान पूरे देश में छठे स्थान पर है।
दो योजना पहले से
देसी गायों को बढ़ावा देने के लिए कामधेनू डेयरी योजना पहले से चल रही है। इस पर सरकार अनुदान देती है। वहीं राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विवि बीकानेर भी देसी गायों की छह नस्लों को बढ़ावा दे रहा है। पशु विज्ञान केन्द्र झुंझुनूं के प्रभारी अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार के अनुसार देसी नस्ल की गायों में ए टू दूध मिलता है। यह संकर/विदेशी की तुलना में ज्यादा गुणकारी होता है।
अभी कृत्रिम गर्भाधान के लिए चार प्रकार की देसी नस्लों को प्राथमिकता दी जा रही है। देसी गाय के दूध में विदेशी की तुलना में फैट व ठोस पदार्थ की मात्रा ज्यादा होती है।
-डॉ रामेश्वर ङ्क्षसह, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग
देसी गायों की नस्ल के दूध में पौषक तत्वों की मात्रा ज्यादा होती है। आयुर्वेद की अनेक दवाओं में देसी गाय के घी/दूध को ही ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है।
-डॉ महेश माटोलिया, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी, आयुर्वेद, बीडीके झुंझुनूं
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