यह प्रोग्राम इसी माह दिसम्बर में शुरू होने की संभावना है। इसके लिए जिले में निरक्षरों का सर्वे करवाया जा चुका है, जिसमें 10 हजार 200 निरक्षरों की पहचान कर ली गई है। समय के साथ शिक्षा का तरीका भी बदल रहा है। पहले साक्षारता के तहत खुद का नाम लिखना व पढऩा सिखाया जाता था। कखग सिखाया जाता था। अब उनको डिजीटल साक्षर किया जाएगा। इस प्रोग्राम में 15 वर्ष से अधिक उम्र के उन व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा जो निरक्षर हैं और कभी स्कूल नहीं गए।
युवाओं का चयन योजना के तहत डिजिटल साक्षर करने वाले युवाओं का चयन शुरू हो गया है। पहले चरण में 473, दूसरे में 14 व तीसरे चरण में 23 का चयन किया जा चुका है। अभी और युवाओं का भी चयन किया जाएगा। चयनित युवाओं को हर माह राज्य सरकार की मुख्यमंत्री युवा सम्बल योजना के तहत बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। युवाओं को हर माह चार हजार और युवतियों को साढ़े चार हजार रुपए दिए जाएंगे। युवाओं को उनके खुद के गांव या पड़ौस के गांव में लगाया जाएगा।
यह सिखाएंगे -ऑनलाइन लेनदेन। -सरकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त करना। -साइबर सुरक्षा की जानकारी। -अपना बैंक खाता चेक करना। -कृषि बीमा की किश्त व क्लेम की जानकारी प्राप्त करना।
-बिजली, पानी व अन्य बिल जमा करवाना। -डिजीटल साक्षरता की बेसिक जानकारी।
हर जिले में 8400 का लक्ष्य राजस्थान के हर जिले में कम से कम 8400 निरक्षरों को डिजिटल साक्षर अनिवार्य रूप से करना होगा। इनमें 2100 पुरुष व 6300 महिलाएं होंगी। सभी को डिजीटल कंटेंट उपलब्ध करवाया जाएगा। जिनके पास मोबाइल हैं उनको मोबाइल पर, पास के राजीव गांधी सेवा केन्द्र, सरकारी स्कूल की आईसीटी लैब या अन्य निर्धारित स्थान पर उनको पढाया जाएगा। इसकी मोनेटरिंग शिक्षा विभाग के पीइओ व सीबीइओ करेंगे। सभी निरक्षरों का ऑनलाइन पंजीयन करवाना होगा।
हमारी तैयारी पूरी एनआईएलपी एक एप है। जिसके माध्यम से 15 से अधिक उम्र वाले निरक्षर व्यक्तियों को डिजीटल साक्षर किया जाएगा। उनको वह सब बातें बताई जाएंगी जो उनके रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा हैं।
-कुलदीप खरबास, जिला साक्षरता एवं सतत शिक्षा अधिकारी, झुंझुनूं