आस-पास आवारा घूमने वाली गाय, बछड़ों तक के नाम रख दिए हैं। जब प्रिया नाम लेकर उनको पुकारती है तो गाय, बछड़े, श्वान व अन्य पशु दौड़े चले आते हैं। कस्बेवासियों व आस-पास के लोगों को बेटी पर नाज होने लगा है। वे भी दवा के लिए राशि देने लगे हैं। कहीं भी बीमार श्वान या घायल गाय बछड़ा होता तो लोग प्रिया को तुरंत सूचना देते हैं। सूचना मिलते ही दवाई का बैग लेकर वह घायलों का इलाज करने पहुंच जाती है।
लॉकडाउन लगा तब आवारा घूम रहे गाय ,बछड़ों के खाने की तकलीफ हुई तो खुद सब्जी मंडी से प्रतिदिन सब्जियां लाती व गायों को खिलाती थी।
एमए तक पढ़ी प्रिया महरिया को शुरू में दवाइयों की जानकारी नहीं थी। तब स्थानीय पशु चिकित्सकों व सहायकों की मदद से प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लिया। #priya mahariya
प्रिया मूल रूप से झुंझुनूं व नवलगढ़ के बीच स्थित मांडासी गांव की रहने वाली है। प्रिया के पिता केसीसी में नौकरी करते थे। इसलिए परिवार अब यहीं बस गया। प्रिया जब डेढ़ साल की थी, उसी समय पिता का साया उठ गया, लेकिन मां पार्वती देवी ने दोनों बेटियों को अच्छे संस्कार दिए। प्रिया की मां ने बताया कि घर में एक बिल्ली का बच्चा था। वह बीमारी के कारण उसकी आंखों के सामने मर गया। तब उसे बहुत दुख हुआ। उसी दिन से उसने मूक जानवरों की सेवा का संकल्प ले लिया।
लॉकडाउन में बेजुबान पशु पक्षियों की सेवा करने पर प्रिया का चिड़ावा में जिला स्तर पर जिला पुलिस अधीक्षक जेसी शर्मा सम्मान कर चुके। कंटेट- हर्ष स्वामी