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महाअष्टमी आज, यूं करें कन्या पूजन

jhunjhunu news : झुंझुनूं. चैत्र नवरात्र की महा अष्टमी बुधवार को है। महा अष्टमी पर देवी महागौरी की पूजा करने से कुंडली का कमजोर शुक्र मजबूत होता है। इसी वजह से शादी-विवाह में आई रुकावटों को दूर करने के लिए महागौरी का पूजन किया जाता है। महागौरी को पूजने से दांपत्य जीवन सुखद बना रहता है। साथ ही पारिवारिक कलह क्लेश भी खत्म हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने श्रीराम की प्राप्ति के लिए देवी महागौरी की ही पूजा की थी।

झुंझुनूApr 01, 2020 / 11:58 am

gunjan shekhawat

झुंझुनूं. चैत्र नवरात्र की महा अष्टमी बुधवार को है। महा अष्टमी पर देवी महागौरी की पूजा करने से कुंडली का कमजोर शुक्र मजबूत होता है। इसी वजह से शादी-विवाह में आई रुकावटों को दूर करने के लिए महागौरी का पूजन किया जाता है। महागौरी को पूजने से दांपत्य जीवन सुखद बना रहता है। साथ ही पारिवारिक कलह क्लेश भी खत्म हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने श्रीराम की प्राप्ति के लिए देवी महागौरी की ही पूजा की थी। विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि जहां पर नवरात्र स्थापना की है वहां पर ज्योत आरती करके के बाद कन्या का पूजन करना चाहिए। इस दिन कन्याओं के पैर धोकर उनसे आशीर्वाद लेकर देवी मां की आरती उतारें। अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए। 9 कन्या नहीं होने पर 2 कन्याओं की पूजा करें। कन्याओं की आयु 2 साल से अधिक और 10 साल से कम होनी चाहिए। इस समय कोरोना वायरस और लोकडाउन चल रहा है। श्रद्धालुओं के सामने कन्या पूजन की समस्या खड़ी हो हो रही है। ऐसे में कन्या पूजन के लिए घर की बेटी, भतीजी और अन्य कन्याओं को भोजन करवाकर उनका पूजन करें। लेकिन पूजन से पहले हाथ में जल लेकर यह संकल्प करें कि नवरात्र में कन्या पूजन के लिए मैं अपनी पुत्री को देवी मानकर उनका पूजन करता या करती हूं। कन्या को मीठा भोजन कराएं और जो भी देना हो उन्हें देवी भाव से ही भेंट करें।

मां अंबे को चुनरी भेंट करें


सौभाग्य प्राप्ति और सुहाग की मंगलकामना लेकर मां को चुनरी भेंट करने का भी इस दिन विशेष महत्व है। नवरात्र में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना होती है। चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन अष्टमी को दुर्गा मां के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। महागौरी की अराधना करने से पूर्व जन्म के पाप नष्ट होते हैं। इसके साथ ही इस जन्म के दुख, दरिद्रता और कष्ट भी मिट जाते हैं।

श्रीराम नवमी पर विशेष संयोग


श्रीराम नवमी पर इस बार पुर्नवसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है। जो अति शुभकारी है। रामायण के अनुसार भगवान राम का जन्म चैत्र मास की नवमी तिथि और पुर्नवसु नक्षत्र के योग में दोपहर 12 बजे अभिजीत योग में हुआ था। इस बार भी ऐसा संयोग बन रहा है। ग्रह गोचर में इस गज केसरी योग, मिथुन राशि में चंद्रमा स्व राशि में शनि, शुक्र और उच्च राशि में राहु-केतु मंगल का योग बन रहा है। ्रयह योग ज्योतिष के अनुसार शुभ है। महाशक्ति दायिनी मां दुर्गा अष्टमी पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्रि में अष्टमी, नवमी तिथि पर कन्याओं का मां का रूप मानकर पूजन किया जाता है। इसके साथ ही महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा के बाद हवन किया जाता है।

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