कोरोना के बाद एक बार फिर आमजन का आयुर्वेद के प्रति रूझान बढ़ा है। लोग आयुर्वेद में बताए अनुसार खान-पान पर ध्यान देने लगे हैं। योग प्रणायाम पहले से ज्यादा करने लगे हैं। आयुर्र्वेद से उपचार करवाने वालों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने बताया कि सुबह दो गिलास गुनगुना पानी, दोपहर में खाने के बाद छाछ और रात को सोते समय गर्म दूध सेहत के लिए अच्छे रहते हैं।
यह दवा आई अश्वगंधा चूर्ण, लवंगादीवटी, हिंग्वाष्टक चूर्ण, पुष्यानुग चूर्ण, लवणभास्कर चूर्ण, दशमूल क्वाथ, अविपत्तिकारक चूर्ण,श्वेत पर्पटी, मधुयष्टि चूर्ण, गंधक रसायन, जात्यादि तेल, फलत्रिकादी क्वाथ, तालिसादी चूर्ण, एरंड तेल, हरिद्राखंड, महासुदर्शन चूर्ण, आमलकी चूर्ण, बहेड़ा चूर्ण, हरितकी चूर्ण, दशांग लेप, संजीवनी वटी, कुटजघन वटी, गोक्षुरादि गुग्गल, योगराज गुग्गुल, सर्पगंधाधन वटी, चंद्रप्रभावटी सहित अनेक प्रकार की दवा, चूर्ण आदि आए हैं। यह मरीजों को निशुल्क वितरित किए जाएंगे।
विभागीय औषधालय 155
विभागीय चिकित्सायल 03
एनएचएम के अधीन 44
कुल 202