पांच सितंबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य में मेडिकल कॉलेज खोलने जाने के संबंध में चर्चा की गई थी। इसके अनुसार जिला चिकित्सालयों को मेडिकल कॉलेज के रूप में क्रमोन्नत किए जाने के लिए भूमि आवंटन की कार्रवाई के लिए प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों को पाबंद करने की बात कही गई थी।
इन जिलों को भी किया शामिल
अलवर, बांसवाड़ा, बारां, बूंदी, चितौडगढ़़, दौसा, गंगानगर, हनुमानगढ़, जालौन, जैसलमेर, करौली, नागौर, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाईमाधोपुर, सिरोही व टोंक
डॉ राजकुमार ने उठाई थी मांग
नवलगढ़ विधायक एवं पूर्व चिकित्सा मंत्री डॉ राजकुमार शर्मा कई बार झुंझुनूं में मेडिकल कॉलेज की मांग उठा चुके। मुख्यमंत्री के साथ कई बैठकों में भी वे झुंझुनूं में मेडिकल कॉलेज की मांग उठा चुके। वे जब चिकित्सा राज्य मंत्री थे, तब भी उन्होंने इस पर चर्चा की थी।इसके बाद सरकार आई नहीं और प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई थी।मुख्यमंत्री के सामने मामला उठाने के बाद अब जिले के प्रभारी मंत्री प्ररसादीलाल मीणा व प्रभारी सचिव आलोक ने झुंझुनूं का दौरा किया था। इस दौरान प्रभारी मंत्री मीणा बैठक लेकर रवाना हो गए थे। दूसरे दिन चार सितंबर को प्रभारी सचिव आलोक ने कलक्टर रवि जैन, सीएमएचओ डा. छोटेलाल गुर्जर तथा अन्य अधिकारियों के साथ बीडीके अस्पताल में निरीक्षण किया था। इस दौरान प्रभारी सचिव ने कहा था कि बीडीके अस्पताल काफी बड़ा है और यहां ओपीडी भी ज्यादा है। ऐसे में यहां मेडिकल कॉलेज होना चाहिए।
मेडिकल कॉलेज खोलने की प्रक्रिया शुरू की गई है। मेडिकल कॉलेज के संबंध में जो भी रिपोर्ट मांगी जाएंगी वे भेज दी जाएंगी। अगर मेडिकल कॉलेज खुलता है तो झुंझुनूं को फायदा मिल जाएगा।
डा. छोटेलाल गुर्जर, सीएमएचओ (झुंझुनूं)