इसी परिसर में शहीद वीरांगनाओं व ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले फौजियों के परिवार भी रहते हैं। इसके लिए अलग से 12 फ्लैट हैं। इन परिवारों के चार बेटे भी सरकारी नौकरी लग चुके। इसके अलावा दो बेटियों का सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश मिल चुका।
शिक्षक 16
व्याख्याता 1
एमबीबीएस में प्रवेश 4
कनिष्ठ सहायक 2
बैंक में 2
कनिष्ठ अभियंता 1
आयकर 1
कम्पाउंडर 2
लाइब्रेरियन 1
पटवारी 2
चार बच्चों की लगी नौकरी
इनका कहना है
युवतियों के लिए साथ सुथरे कमरे, गीजर, कूलर, पंखे, लाइब्रेरी, कम्प्यूटर कक्ष, सिलाई प्रशिक्षण, टीवी व इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है। यहां रहकर पढ़ाई करने वाली युवतियों की हर वर्ष सरकारी नौकरी लग रही है। इसका सबसे बड़ा कारण अनुशासन व पढ़ाई का माहौल है।
-रोशन देवी, वार्डन, सांझी छत
इनका कहना है
छात्रावास की सुरक्षा के लिए 24 घंटे तीन चौकीदार रहते हैं। पूरे परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। अब तक यहां के 36 बच्चे सरकारी नौकरी लग चुके। औसत हर वर्ष पांच बच्चों की सरकारी नौकरी लग रही है।
-हनुमान प्रसाद महला, प्रभारी, सांझी छत