ऐसे बचाएं पानी
-खेतों के मेढ़बंदी करें।
-खेत का पानी खेत में ही रहे।
-बरसात के पानी को बचाएं।
-ऐसी फसलों की खेती करें जो कम पानी में पैदा हो जाती है।
-एनीकटों, बांधों के कैचमेंट क्षेत्र से अतिक्रमण हटवाकर वहां ऐसी व्यवस्था करें की बरसात के पानी से वे भर सकें।
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कहां कितना भूजल स्तर बढ़ा
गांव बढ़ा हुआ जलस्तर
बागोरा 15.14
कैरोट 5.02
ककराना 3.10
छापोली 0.53
जैतपुर 0.79
खींवासर 0.10
पौषाणा 0.23
सिंगनौर 0.73
रामपुरा 4.95
भोदन 2.44
मैनाना 0.67
जाखोद 0.58
अलसीसर 0.66
बासड़ी 0.45
कोलिंडा 1.36
लूटू 0.31
निराधनू 0.15
टमकोर 0.05
बीबासर 0.29
(स्रोत भूजल विभाग: आंकड़े मीटर में)
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-राजेश पारीक, भूजल वैज्ञानिक झुंझुनूं
बागोरा में दस साल बाद गेहूं की खेती जलस्तर नीचे चले जाने से कुएं सूख गए थे। जिससे पिछले दस साल से रबी की फसल नहीं होने हो रही थी। इस बार कुओं में जलस्तर बढ़ा है। जिससे दस साल बाद गेहूं, जौ व सरसों की फसल हुई है। जलस्तर बढऩे का फायदा बागोरा बस स्टैण्ड के आस-पास तीन दर्जन से अधिक कुओं के किसानों को हुआ है। ऊपर से देखने पर भी कुओं में पानी दिखाई दे रहा है।
-प्रभूदयाल सैनी, किसान बागोरा
एनीकटों में जल संरक्षण से मिला फायदा
बागोरा क्षेत्र की पहाडिय़ों में बनाए गए छोटे छोटे एनीकट भरने से जलस्तर बढ़ा है। बागोरा के बस स्टैण्ड के पास भूत्या नाला नामक छोटा एनीकट आज भी पानी से लबालब भरा हुआ। जिसका फायदा स्थानीय किसानों को मिल रहा है। कोटड़ी सहित अन्य एनीकटों का निर्माण जल्द हो जाए तो भूजल स्तर बढ़ सकता है।
-घासीराम गुर्जर, किसान बागोरा