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आप भी जानिए क्यों मनाई जाती है फुलेरा दूज

locationझुंझुनूPublished: Feb 25, 2020 12:25:51 pm

राधा कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के रूप में फूलों से होली खेलते हैं और एक दूसरे को फूलों के गुलदस्ते भेंट में देते हैं।

झुंझुनूं. फुलेरा दूज को फाल्गुन मास का पवित्र दिन माना जाता है। यह पर्व फाल्गुन माह के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को किया जा सकता है। सर्दी के मौसम के बाद इसे विवाह का अंतिम अबूझ मुहूर्त व शुभ दिन माना जाता। इस दिन शादियों की धूम रहेगी। इसके बाद रामनवमी और आखातीज का अबूझ मुहूर्त आएगा।
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पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि इस दिन किसी भी मुहूर्त में शादी की जा सकती है। ये पर्व अंग्रेजी कैलेंडर के फरवरी या मार्च महीने में आता है। ये पर्व होली, होली की तैयारियां, भजन, कीर्तन और फाग गीतों का प्रतीक है। फुलेरा दूज मथुरा, वृंदावन, उत्तर भारत के कृष्ण मंदिरों में खासतौर से मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है और राधा कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के रूप में फूलों से होली खेलते हैं और एक दूसरे को फूलों के गुलदस्ते भेंट में देते हैं।
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माना जाता है कि इस दिन में साक्षात भगवान श्री कृष्ण का अंश होता है। इसी कारण से इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा को अधिक महत्व दिया जाता है। फु लेरा दूज को रंगों का त्योंहार भी माना जाता है।
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फुलेरा दूज का दिन दोष मुक्त होता है। इसलिए इस दिन कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य किया जा सकता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है और उन्हें गुलाल अर्पित किया जाता है।
9 मार्च को 6.30 से 6.50 के बीच होगा होली का दहन
झुंझुनूं. होली फाल्गुन पूर्णिमा पर 9 मार्च को मनाई जाएगी। होली का दहन शाम को छह बजकर तीस मिनट से छह बजकर 50 मिनट पर किया जाएगा।
10 मार्च को रंगों का पर्व धूलंडी मनाया जाएगा। 11 मार्च को भाई दूज होगी। इससे पहले 3 मार्च से होलाअष्टक प्रारंभ हो जाएंगे। यह होलाअष्टक 9 मार्च होलिका दहन के बाद समाप्त हो जाएंगे। होलाअष्टक में भी मांगलिक कार्य करने वर्जित हैं।
पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। इस दिन को मां लक्ष्मी की जयंती की रूप में भी मनाया जाता है, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही होलिका दहन भी किया जाता है। जिसकी वजह से यह पूर्णिमा बहुत ही शुभ और लाभकारी मानी जाती है।
इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

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