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झुंझुनूं में घोडों की मौत का अजब रहस्य

locationझुंझुनूPublished: Oct 01, 2022 11:19:52 pm

Submitted by:

Rajesh

पशुपालन विभाग की ओर से राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र भेजे गए नमूनों में से झुंझुनूं जिले के बड़बर गांव के दो घोड़े इस वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। दोनों घोड़ों की 15 दिन पहले मौत हो गई है, लेकिन विभाग ने वायरस की रोकथाम के लिए पांच किलोमीटर क्षेत्र के पशुओं के नमूने लेकर हिसार अनुसंधान केन्द्र में भेजे हैं। यह बीमारी ज्यादा खतरनाक इसलिए है कि संक्रमित घोड़े के सम्पर्क में आने से मनुष्य भी इस बीमारी से ग्रसित हो सकता है।

झुंझुनूं में घोडों की मौत का अजब रहस्य

झुंझुनूं में घोडों की मौत का अजब रहस्य

देवेन्द्र शर्मा शास्त्री

झुंझुनूं. गोवंश में फैली लम्पी बीमारी के बाद राजस्थान के झुंझुनूं जिले पर नए वायरस का खतरा मंडरा गया है। खतरा है घोड़ों में फैलने वाले ग्लैंडर्स वायरस का। झुंझुनूं के दो घोड़ों में यह वायरस मिल चुका है। पशुपालन विभाग की ओर से राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र भेजे गए नमूनों में से झुंझुनूं जिले के बड़बर गांव के दो घोड़े इस वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। दोनों घोड़ों की 15 दिन पहले मौत हो गई है, लेकिन विभाग ने वायरस की रोकथाम के लिए पांच किलोमीटर क्षेत्र के पशुओं के नमूने लेकर हिसार अनुसंधान केन्द्र में भेजे हैं। यह बीमारी ज्यादा खतरनाक इसलिए है कि संक्रमित घोड़े के सम्पर्क में आने से मनुष्य भी इस बीमारी से ग्रसित हो सकता है।
मौत ही उपचार, 25 हजार का मुआवजा
पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ग्लैंडर्स पॉजीटिव मिलने पर मौत ही उपचार है। पोजीटिव पशु को वैज्ञानिक तरीके से हाईडोज दवा देकर मौत के घाटा उतारा जाता है। साथ ही घोड़ा पोजीटिव पाए जाने के पांच किलोमीटर क्षेत्र के पशुओं का ग्लैंडर्स जांच के लिए नमूना लिया जाता है। पशु से इंसान में फैलने वाला रोग होने के कारण संक्रमित घोड़े की देखभाल करने वाले पशु पालक की भी जांच की जाती है। यह घोड़े के बाद गधे और खच्चर में तेजी से फैलता है।
कोरोना से मिलते है ग्लैंडर्स संक्रमण के लक्षण
घोड़ों में फैलने वाली ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण कोरोना से मिलते जुलते हैं। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रामेश्वर ङ्क्षसह ने बताया कि इस बीमारी से संक्रमित होने पर पशु के पहले निमोनिया होता है। साथ ही श्वास लेने में तकलीफ होने लगती है। इसके बाद शरीर पर घाव होने लगते हैं। बड़बर गांव के पशुपालक रामङ्क्षसह के दो घोड़ों में इस तरह के लक्षण पाए जाने पर उनके नमूने लेकर राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र भेजे गए थे। यह दोनों नमूने पॉजीटिव पाए गए हैं। लेकिन इन दोनों घोड़ों की करीब 15 दिन पहले मौत हो चुकी है। पशुपालक के पांच अन्य पशुओं के नमूने भी जांच के लिए भेजे गए, लेकिन उनकी रिपोर्ट नेगेटिव प्राप्त हुई है।
घोड़े से दूसरे पशुओं और मनुष्यों में फैलती है बीमारी
ग्लैंडर्स बीमारी आमतौर पर घोड़ों में होती है। इस वायरस की चपेट में आने से घोड़े की नाक से तेज पानी बहने लगता है। शरीर पर फफोले हो जाते हैं। श्वास लेने में परेशानी होती है। बुखार आने के कारण घोड़ा सुस्त हो जाता है। यह बीमारी संक्रमित दूसरे पशुओं और मनुष्यों को हो सकती है।
मौत पर 10 फिट गहरे खड्डे में दफनाने का प्रावधान
ग्लैंडर्स खतरनाक बीमारी है। इससे संक्रमित घोड़े व अन्य पशुओं को दस फिट गहरा खड्डा खोदकर दफनाने का प्रावधान है। मृत पशु को सामान्य तरीके से दफनाने पर भी यह वायरस क्षेत्र को संक्रमण की चपेट में ले सकता है। एहतियात के तौर पर प्रदेश में घोड़ों की संख्या के कुल 20 फीसदी के नमूने लेने का प्रावधान है।
बड़बर गांव के किसान के दो घोड़ों में ग्लैंडर्स रोग पाया गया है। इन दोनों घोड़ों की 15 दिन पहले ही मौत हो गई है। विभाग पशुपालक के तीन अन्य पशु सहित पांच किलोमीटर क्षेत्र के पशुओं के नमूने लेकर जांच के लिए हिसार भेजे हैं। इनमें कुछ की रिपोर्ट नेगेटिव प्राप्त हुई है। लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग की ओर से अभियान चलाया जा रहा है। यह रोग घोड़ों से मनुष्यों में भी फैल सकता है।
डॉ. रामेश्वरसिंह, संयुक्त निदेशक पशुपालन, झुंझुनूं
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