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समय की जुगलबंदी का अनोखा टैलेंट: जोधपुर का ये युवक एक मिनट में बांधता है तीन साफे

locationझुंझुनूPublished: Jul 21, 2016 03:16:00 pm

Submitted by:

Nidhi Mishra

व्यक्ति को एक अलग पहचान दिलाती है निरंतर अभ्यास और समय की जुगलबंदी के साथ साफा बांधने की कला

man wears three safa in a minute

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मारवाड़ की समृद्ध परम्पराओं में साफा बांधना भी एक कला है। साफा व्यक्ति की इज्जत, स्वाभिमान और पहचान का प्रतीक भी है। साफा बांधना भी अब एक कला बन गई है। कला निरंतर अभ्यास और समय की जुगलबंदी के साथ प्रदर्शित की जाती है तो व्यक्ति को एक अलग पहचान दिलाती है। कुछ इसी तरह की पहचान बनी हुई है शहर के प्रमोद बिस्सा की, जिनको साफे बांधने की कला में महारत हासिल है। यूं तो शहर में साफे बांधने की कला में कई लोग माहिर हैं, लेकिन प्रमोद एक मिनट में तीन साफे बांध लेते हैं, इसी कला ने प्रमोद को पहचान और पुरस्कार दिलाए।
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18 सेकंड में साफा बांध जीता खिताब 

प्रमोद ने बताया कि साफे बांधने की कला ने उनको जिला स्तर व राज्य स्तर तक कई पुरस्कार दिलाए हैं। वह मारवाड़ समारोह व जोधपुर स्थापना दिवस पर आयोजित होने वाले समारोह में होने वाली साफा बांधने की प्रतियोगिता में भाग लेकर खिताब जीत चुके हैं। इसके अलावा फरवरी माह में जैसलमेर में आयोजित मरु मेले में अपनी कला का प्रदर्शन किया और 18 सैकेण्ड में साफा बांधकर खिताब जीता।
बचपन से ही शौक

प्रमोद जब 15 साल के थे, तब अपने पिता से साफा बांधने की कला को सीखना शुरू किया। उसके बाद वह अभ्यास करते रहे। उन्होंने बताया कि साफे कई शैलियों में बांधे जाते हैं, लेकिन जोधपुर में राठौड़ी पेंच का चलन बहुत ज्यादा है, जो विश्वविख्यात है और दिखने में भी सुन्दर लगता है।
शिष्य कर रहे तैयार

रेलवे में कार्यरत प्रमोद ने बताया कि साफा बांधने की कला प्राचीन परंपरा है, इसके लिए मैं युवा पीढ़ी को यह कला सिखा रहा हूं। हाल ही विशेष शिविर आयोजित कर प्रशिक्षण दिया था, तांकि आने वाली पीढ़ी भी इस कला से परिचित रहे। 

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