झुंझुनूं. सडक़ों पर लगातार बढ़ रहे हादसों का सबसे बड़ा कारण लोगों में जागरूकता की कमी माना जा रहा है। गलत तरीके से वाहन चलाने व आगे निकलने की होड़ में तेज गति के कारण युवा वर्ग सबसे ज्यादा हादसों का शिकार हो रहा है। पुलिस विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने में सबसे बड़ी संख्या युवा व पढ़े-लिखे वर्ग की अधिक है। इसमें सर्वाधिक संख्या हेलमेट को बोझ समझने वालों की रही है।
गत वर्ष की बात करें तो शहर यातायात पुलिस की ओर से नियमों का उल्लंघन करने पर 18548 वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 49 लाख 82 हजार एक सौ रुपए का जुर्माना लगाया। यह तो केवल शहर का आंकड़ा है, अगर इसमें पूरे जिले को जोड़ लिया जाए तो संख्या कई गुना बढ़ जाएगी। हालांकि शहर में यातायात पुलिस की ओर से समय-समय पर समझाइश के लिए अभियान भी चलाए। लेकिन इतना सबकुछ होने के बावजूद लोगों में अभी तक यातायात नियमों का पालने करने के प्रति जागरूकता नहीं आई है। पुलिस विभाग के आंकड़ों की माने तो पिछले चार साल में जिले में हुए हादसों में करीब एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई। जिसमें मरने वाले में 360 से अधिक 18-35 वर्ष के रहे हैं।
हेलमेट के सर्वाधिक
अक्सर हादसों में दोपहिया वाहन चालकों की मौत का कारण हेलमेट का प्रयोग नहीं करना सामने आता है। जानकारों की माने तो बच्चों की जिद के कारण अभिभावक उन्हें महंगे दोपहिया वाहन दिला देते हैं।लेकिन युवा वर्ग दिखावे के चक्कर में हेलमेट लगाने से परहेज करते है, जो कि दुर्घटना के समय मौत का कारण साबित होता है।
दो साल में चार सौ की गई जान
पुलिस विभाग के आंकड़ों की माने तो जनवरी 2017 से लेकर अबतक जिले में विभिन्न जगहों पर हुए सडक़ों हादसों में करीब चार सौ से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हादसों में मरने वाले 70 से अधिक संख्या युवा वर्ग की रही है।
एक्सपर्ट व्यू
राजकीय बीडीके अस्पताल में आपातकालीन इकाई प्रभारी डॉ. कमलेश चौधरी ने बताया कि दुर्घटना के दौरान सिर पर चोट लगने से बहुत अधिक रक्त स्त्राव होने से दिमाग अपना संतुलन खो देता है। लगातार खून के बहने से दिमाग काम करना बंद कर देता है। जो कि मौत का कारण बनता है। उन्होंने बताया कि हेलमेट से सिर पर अनरूदनी चोट लगने की संभावना कम रहती है।डॉ.चौधरी ने बताया कि दुर्घटना के बाद हेलमेट का झटके से निकालने पर खतरा हो सकता है। ऐसे में अस्पताल में चिकित्सक की देखरेख में लाकर इलाज शुरू करवाना चाहिए।ताकि व्यक्ति का सही तरीके से उपचार कर उसे बचाया जा सके।
गत वर्ष की बात करें तो शहर यातायात पुलिस की ओर से नियमों का उल्लंघन करने पर 18548 वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 49 लाख 82 हजार एक सौ रुपए का जुर्माना लगाया। यह तो केवल शहर का आंकड़ा है, अगर इसमें पूरे जिले को जोड़ लिया जाए तो संख्या कई गुना बढ़ जाएगी। हालांकि शहर में यातायात पुलिस की ओर से समय-समय पर समझाइश के लिए अभियान भी चलाए। लेकिन इतना सबकुछ होने के बावजूद लोगों में अभी तक यातायात नियमों का पालने करने के प्रति जागरूकता नहीं आई है। पुलिस विभाग के आंकड़ों की माने तो पिछले चार साल में जिले में हुए हादसों में करीब एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई। जिसमें मरने वाले में 360 से अधिक 18-35 वर्ष के रहे हैं।
हेलमेट के सर्वाधिक
अक्सर हादसों में दोपहिया वाहन चालकों की मौत का कारण हेलमेट का प्रयोग नहीं करना सामने आता है। जानकारों की माने तो बच्चों की जिद के कारण अभिभावक उन्हें महंगे दोपहिया वाहन दिला देते हैं।लेकिन युवा वर्ग दिखावे के चक्कर में हेलमेट लगाने से परहेज करते है, जो कि दुर्घटना के समय मौत का कारण साबित होता है।
दो साल में चार सौ की गई जान
पुलिस विभाग के आंकड़ों की माने तो जनवरी 2017 से लेकर अबतक जिले में विभिन्न जगहों पर हुए सडक़ों हादसों में करीब चार सौ से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हादसों में मरने वाले 70 से अधिक संख्या युवा वर्ग की रही है।
एक्सपर्ट व्यू
राजकीय बीडीके अस्पताल में आपातकालीन इकाई प्रभारी डॉ. कमलेश चौधरी ने बताया कि दुर्घटना के दौरान सिर पर चोट लगने से बहुत अधिक रक्त स्त्राव होने से दिमाग अपना संतुलन खो देता है। लगातार खून के बहने से दिमाग काम करना बंद कर देता है। जो कि मौत का कारण बनता है। उन्होंने बताया कि हेलमेट से सिर पर अनरूदनी चोट लगने की संभावना कम रहती है।डॉ.चौधरी ने बताया कि दुर्घटना के बाद हेलमेट का झटके से निकालने पर खतरा हो सकता है। ऐसे में अस्पताल में चिकित्सक की देखरेख में लाकर इलाज शुरू करवाना चाहिए।ताकि व्यक्ति का सही तरीके से उपचार कर उसे बचाया जा सके।