करते है।
मोहरसिंह ने अपने बगीचे में बेर की विभिन्न किस्में हिसार, गुजरात व चौमूं से आयात कर लगाई है। जिले में पहली हाइटेक नर्सरी लगाने वाले मोहरसिंह अपने इस कार्य को समझने के लिए इजराइल भी गए। वहां हाइटेक कार्यप्रणाली के मॉडल को समझकर उसी की तर्ज पर ही हाइटेक नर्सरी अपने खेत में लगाई। अपनी बागवानी के हुनर की वजह से वे जर्मनी, फ्रांस, स्विटरजरलैंड, इटली सहित कई देशों की यात्रा कर चुके है।
बागवानी में पूर्णत: देशी खाद व केचुए की खाद का उपयोग किया जा रहा है। करीब 40 साल से बागवानी कर रहे मोहरसिंह ने बताया कि वे अपने बेर के बाग में यूरिया का प्रयोग नहीं करते है।
इस बार सर्दी का प्रकोप ज्यादा होने से उत्पादन में कमी हुई है। बेटे विजयपाल व जयप्रकाश भी इसी कार्य को संभालते है। वे कई बार सम्मानित भी हो चुके।