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राजस्थान के किसानों का कमाल, धोरों में उगा दी ऐसी चीज, 5 लाख से ज्यादा की दे रहा बचत

locationझुंझुनूPublished: Jan 22, 2020 09:09:51 am

Submitted by:

Dinesh Saini

झुंझुनूं जिले के चिड़ावा क्षेत्र के किसान जैविक और आधुनिक खेती पर ध्यान देने लगे हैं। चिड़ावा से 15 किमी दूर घरड़ाना कलां के किसान सुमेर राव के खेत में लगा किन्नू का बगीचा इसका उदाहरण है। पांच साल पहले दस बीघा में लगाया किन्नू ( Kinnow ) का बगीचा सालाना पांच लाख से ज्यादा की बचत दे रहा है…

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झुंझुनूं/चिड़ावा। झुंझुनूं जिले के चिड़ावा क्षेत्र के किसान जैविक और आधुनिक खेती पर ध्यान देने लगे हैं। चिड़ावा से 15 किमी दूर घरड़ाना कलां के किसान सुमेर राव के खेत में लगा किन्नू का बगीचा इसका उदाहरण है। पांच साल पहले दस बीघा में लगाया किन्नू ( Kinnow ) का बगीचा सालाना पांच लाख से ज्यादा की बचत दे रहा है। अब तक श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में हो रही खेती हो रही थी। हनुमानगढ़ में कार्यरत शिक्षक दोस्त की सलाह पर सुमेर राव ने दस बीघा में पांच सौ किन्नू के पौधे लगाए। बगीचे में समय-समय पर पानी और जैविक खाद दी तो पौधों ने भी बढ़वार की। ऐसे में किन्नू की दूर-दूर तक मांग हो रही है।
5 लाख रुपए की आमदनी
किसान ने बताया कि पिछले साल करीब साढ़े तीन लाख का किन्नू बेचा। इस बार पांच लाख से ज्यादा की आमदनी होने की उम्मीद है। किन्नू की स्थानीय स्तर पर भी खूब डिमांड है। किन्नू बिल्कुल संतरे जैसा ही दिखता है। संतरा और कीनू सिर्फ देखने में एक जैसे नहीं होते बल्कि दोनों के न्यूट्रिशनल बेनिफिट्स भी लगभग एक जैसे ही होते हैं। ये दोनों फल एक ही साइट्रस फैमिली से आते हैं। कीनू का रंग देखने में थोड़ा डार्क होता है तो वहीं संतरे का रंग केसरिया से लेकर लाइट ऑरेंज तक होता है।
किसान हुए प्रेरित
बगीचे को देखकर दूसरे किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। किसान ने बताया कि क्षेत्र डार्क जोन में आता है। ऐसे में ज्यादा पानी की फसल लगाना घाटे का सौदा साबित हो रही थी। उन्होंने खेत में बगीचा लगाया तो दर्जनभर से ज्यादा किसानों ने प्रेरित होकर बागवानी शुरू कर दी।
खेत में तैयार होती है खाद
बगीचे में रसायनिक खाद से गुजरे करते हुए खेत में ही तैयार जैविक खाद खाद का इस्तेमाल किया। गोबर, नीम के पत्तेव अन्य सामग्री से खाद तैयार होती है। किसान ने पौधों में पानी देने के लिए ड्रिप सिस्टम भी लगा रखा है।
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