किसान ने बताया कि पिछले साल करीब साढ़े तीन लाख का किन्नू बेचा। इस बार पांच लाख से ज्यादा की आमदनी होने की उम्मीद है। किन्नू की स्थानीय स्तर पर भी खूब डिमांड है। किन्नू बिल्कुल संतरे जैसा ही दिखता है। संतरा और कीनू सिर्फ देखने में एक जैसे नहीं होते बल्कि दोनों के न्यूट्रिशनल बेनिफिट्स भी लगभग एक जैसे ही होते हैं। ये दोनों फल एक ही साइट्रस फैमिली से आते हैं। कीनू का रंग देखने में थोड़ा डार्क होता है तो वहीं संतरे का रंग केसरिया से लेकर लाइट ऑरेंज तक होता है।
बगीचे को देखकर दूसरे किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। किसान ने बताया कि क्षेत्र डार्क जोन में आता है। ऐसे में ज्यादा पानी की फसल लगाना घाटे का सौदा साबित हो रही थी। उन्होंने खेत में बगीचा लगाया तो दर्जनभर से ज्यादा किसानों ने प्रेरित होकर बागवानी शुरू कर दी।
बगीचे में रसायनिक खाद से गुजरे करते हुए खेत में ही तैयार जैविक खाद खाद का इस्तेमाल किया। गोबर, नीम के पत्तेव अन्य सामग्री से खाद तैयार होती है। किसान ने पौधों में पानी देने के लिए ड्रिप सिस्टम भी लगा रखा है।