पीठासीन अधिकारी ने चेताया पीठासीन अधिकारी जैन ने फैसले में लिखा है कि झुंझुनूं जिले की विरासत सांस्कृतिक धरोहर 500 वर्ष से भी पुरानी है। झुंझुनूं शहर, नवलगढ़, मंडावा, डूंडलोद, मलसीसर, बिसाऊ, बगड़ आदि स्थानों पर 200 से 300 वर्ष पुरानी हवेलिया हैं। पुरानी फ्रेस्को पेंङ्क्षटग है। जिनको देखने वर्षभर लाखों पर्यटक आते हैं। यदि झुंझुनूं, मंडावा व नवलगढ़ में कचरा संग्रहण, कचरा प्रबंधन, वर्षा जल निकासी, आवारा पशुओं का प्रबंधन ठीक ढंग से नहीं किया गया तो तीनों स्थानों की प्राचीन विरासत और सांस्कृतिक धरोहर खतरे में पड़ जाएगी। पर्यटन उद्योग खतरे में पड़ जाएगा। आम नागरिकों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
आमजन व वकीलों ने परिवाद देकर अनेक समस्या बताई थी। इसमें गंदगी की समस्या, गंदे पानी की निकासी की समस्या, यातायात जाम की समस्या, आवारा पशुओं के उत्पात के कारण पर्यटन उद्योग पर विपरीत प्रभाव की समस्या, कचरे के संग्रहण व निस्तारण की समस्या, वर्षा जल के संरक्षण की समस्या पुरा महत्व की इमारतों के संरक्षण की समस्या व पर्यटन विकास की समस्या बताई थी।
इसके बाद स्थाई लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी व सदस्यों ने पत्रावलियों में संलग्न दस्तावेजों, फोटोग्राफ व विवरण का बारीकी व संवेदनशीलपूर्वक परिशीलन करने के बाद यह निर्णय सुनाया।
केके गुप्ता ने यह किया डूंगरपुर में
-कचरा संग्रहण का व्यवस्थित तरीका। दो समय डोर टू डोर। -कचरे के प्रबंधन और निस्तारण का व्यवस्थित व वैज्ञानिक तरीका।
-वृद्धाश्रम का निर्माण
-नवगृह वाटिका का निर्माण
-डूंगरपुर की सबसे बड़ी झील का संरक्षण, सफाई एवं पर्यटन को बढ़ावा।
-पहाड़ों पर बगीचों का विकास, मूर्ति लगाना, दो हाथियों युक्त प्रवेश द्वार का निर्माण
-झील तथा बैकवाटर के पास भ्रमण पथ का निर्माण।
-अनेक बगीचों का निर्माण व संरक्षण।
-लाखों की संख्या में पौधे लगाए। -वर्षा जल का संग्रहण व गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था। -आवारा पशुओं का समुचित प्रबंधन।