चारों तरफ हरे-भरे खेत
करीब 15 हजार की आबादी वाला किठाना गांव हालांकि देखने में दूसरे गांवों जैसा ही है। बस एक बात जो इसे दूसरे गांवों से अलग करती है, वह यह कि यहां जन्में जगदीप धनखड़ देश के उप राष्ट्रपति चुने गए हैं। हरे-भरे खेतों के बीच किठाना तक अच्छी सड$क बनी हुई है। इसी सड$क से हम गुजरे तो रास्ते में एक खेत के बीच में बड़ा सा मकान दिखाई दिया। जहां जगदीप धनखड़ के रिश्तेदार सरपंच प्रतिनिधि हरेंद्र धनखड़ अन्य रिश्तेदार व ग्रामीणों के साथ खुशियां बांटते मिले।
यह हमारे लिए गौरव की बात
किठाना के ग्रामीणों की खुशियां और बुनियादी सुविधाओं की बहाली की मांगों के बीच कुछ वैसे भी लोग हैं, जो गंभीर मुद्दे उठाते हैं। उन्होंने नाम नहीं बताया लेकिन कहा कि किसान का बेटा उप राष्ट्रपति बना है। इससे बड़ी गौरव की कोई बात नहीं हो सकती। हम चाहते हैं कि वे इस पद पर जाने के बाद किसानों की समस्या का हल करें और गांव का विकास कराएं।
धनखड़ खुद समझदार हैं, ठीक ही करेंगे
गांव की एक दुकान पर बैठे विनोद धनखड़ ने बताया कि धनखड़ जरूरतमंद की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। गौशाला में उन्होंने चारा भंडारण के लिए 15 लाख रुपए दिए। ठाकुरजी का मंदिर बनवाया। पूरी पंचायत की स्कूलों में ड्रेस देते हैं। गांव के विकास को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि धनखड़ खुद समझदार हैं, वे गांव के लिए जो करेंगे, ठीक ही करेंगे।
उम्मीदों के बीच गांव में उत्सवी माहौल
धनखड़ हालांकि पिछले कई सालों से राजनीति में हैं। वे सांसद, विधायक और राज्यपाल रह चुके हैं। अब उनके उप राष्ट्रपति बनने से गांव के लोगों को ज्यादा उम्मीदें जगी हैं। किठाना के लोगों की उम्मीदों, आकांक्षाओं और •ारूरतों के बीच फ़लिहाल इस बात को लेकर उत्सवी माहौल है कि उनके गांव का बेटा उप राष्ट्रपति बना है। लोगों का कहना है कि धनखड़ ने कई काम किए हैं, उनके उप राष्ट्रपति बनने से गांव का और भी विकास होगा।
फार्म हाउस में रुकते हैं धनखड़
यहां से आगे चले तो गांव में प्रवेश करने से पहले एक फार्म हाउस आया, जहां महिपाल धनखड़ मिले। उन्होंने बताया कि यह फार्म हाउस उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का ही है। वे जब भी गांव आते हैं, यहीं पर रुकते हैं। अंदर गए तो देखा कि फार्म हाउस में एक साधारण से कमरे में ही जगदीप धनखड़ यहां प्रवास के दौरान विश्राम करते हैं। इस कमरे में एसी नहीं लगा हुआ है। एक पंखा लगा है। एक डबल बैड है और लोगों के बैठने के लिए लकड़ी की कुर्सियां रखी हैं। हां…फार्म हाउस में चारों तरफ पेड़-पौधों से हरियाली अच्छी कर रखी है। हरे-भरे इस मैदान में ही धनखड़ लोगों से मुलाकात करते हैं।
पांचवीं तक का स्कूल, बना महात्मा गांधी स्कूल
गांव के बीचों-बीच स्थित स्कूल में इन दिनों लोगों की आवाजाही बढ़ गई है। यह वही स्कूल है, जहां कभी जगदीप धनखड़ ने पांचवीं तक की पढ़ाई की थी। आज यह स्कूल महात्मा गांधी (अंग्रेजी माध्यम) में क्रमोन्नत हो चुका है। यहां अब बारहवीं तक की पढ़ाई कराई जा रही है। स्कूल की प्रधानाचार्य सुमन थाकन कहती हैं कि धनखड़ ने हमेशा स्कूल में सहयोग किया है। स्कूल भवन के लिए उन्होंने 11 लाख रुपए भी दिए हैं। पूरे गांव के सहयोग से 34 लाख रुपए हो गए। जल्द ही स्कूल का नया भवन बन जाएगा। थाकन ने बताया कि धनखड़ बच्चों को स्कूल ड्रेस, स्वेटर आदि भी देते हैं। किसी भी कार्य के लिए उन्होंने कभी मना नहीं किया। थाकन का मानना है कि नया भवन बनने के बाद समय की मांग के अनुरूप स्कूल में स्मार्ट क्लासें भी शुरू हो जाएं तो अच्छा हो जाएगा।
किठाना में हुई प्रारंभिक शिक्षा
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रहे धनखड़ का जन्म चिड़ावा तहसील के किठाना गांव में 18 मई 1951 को गोकुलराम धनखड़ के घर हुआ। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी धनखड़ की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी विद्यालय में तथा उच्च शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय से पूरी हुई। कुछ प्रारंभिक शिक्षा घरड़ाना के सरकारी विद्यालय से भी हासिल की। राजस्थान यूनिवर्सिटी से एलएलबी करने के बाद वे वकालत करने लगे। राजस्थान हाईकोर्ट में वर्षों तक वकालत की तथा 1986 में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने 1989 में जनता दल के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा तथा जीत हासिल की। उन्हें 21 अप्रेल 1990 से 5 नवंबर 1990 तक केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री के रूप में कार्य करने का मौका भी मिला।
बेटे की मौत का सदमा सहा
नए उप राष्ट्रपति धनखड़ ने दुखद दौर भी देखा। उनके पुत्र दीपक की महज 14 साल की उम्र में फरवरी 1994 में ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई। इस सदमे को सहना धनखड़ के लिए काफी मुश्किल था। मगर दिल और दिमाग से मजबूत धनखड़ ने खुद को इस सदमे से बाहर निकाला। आज भी धनखड़ के किठाना निवास पर बेटे दीपक की तस्वीर लगी हैं। धनखड़ जब भी घर आते हैं, हर बार तस्वीर को निहारकर बेटे की यादों में खो जाते हैं।