झुंझुनू

राजस्थान में 12 हजार कर्मचारियों की हड़ताल से थमी गांवों की सरकार, आर-पार की लड़ाई का ऐलान

प्रदेशभर में 15 दिनों से जारी मंत्रालयिक कर्मचारियों की हड़ताल से गांवों की सरकार की विकास की गति थम गई है।

झुंझुनूJun 09, 2018 / 12:57 pm

Vinod Chauhan

राजस्थान में 12 हजार कर्मचारियों की हड़ताल से थमी गांवों की सरकार

झुंझुनूं.

प्रदेशभर में 15 दिनों से जारी मंत्रालयिक कर्मचारियों की हड़ताल से गांवों की सरकार की विकास की गति थम गई है। प्रदेश में 12 हजार कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से पंचायतीराज विभाग की छह प्रमुख योजना थमने से आमजन की मुसीबत बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ राज्य सरकार मंत्रालयिक कर्मचारियों को मनाने में विफल है। इधर, मंत्रालयिक कर्मचारियों ने ऐलान किया है कि जब तक सरकार मांग नहीं मानेगी आंदोलन समाप्त नहीं होगा। हालत यह है कि मंत्रालयिक कर्मचारियों की हड़ताल के कारण श्रमिकों को रोजगार भी नहीं मिल रहा है।


‘दवाब में मस्ट्रोल जारी, मौके पर श्रमिक नहीं
मनरेगा योजना की रैकिंग गिरने पर सरकार ने मस्ट्रोल तो सभी जिलों में जारी करवा लिए। लेकिन मौके पर श्रमिक नहीं होने के कारण काम नहीं हो पा रहे है। पत्रिका ने इस मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि वर्ष 2017-18 में जून महीने में नरेगा योजना में श्रमिकों की संख्या 26 .22 लाख थी जो वर्तमान में घटकर 10.6 8 लाख ही रह गई। हड़ताल के कारण श्रमिकों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।


…इसलिए मंत्रालयिक कर्मचारियों में आक्रोश प्रदेशभर में
मंत्रालयिक कर्मचारी मुख्य तौर पर तीन सूत्री मांगों को लेकर आंदोलनरत है। कर्मचारियों का कहना है कि वर्ष 196 1 में कनिष्ठ लिपिक की वेतन श्रृंखला 90 से 200 रुपए थी। जबकि तृतीय श्रेणी शिक्षक की 75 से 200 रुपए थे। लेकिन 198 9 के बाद लिपिक राजनीति का शिकार हो गए। इस कारण लिपिक वर्ग वेतनमान के मामले में सबसे पिछले पायदान पर आ गया है।


यह काम हुए प्रभावित
मंत्रालयिक कर्मचारियों की हड़ताल से पंचायतीराज विभाग की ज्यादातर योजनाएं ठप हो गई है। इसमें मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास, खाद्य सुरक्षा सहित अन्य योजना शामिल है। हालत यह है कि कई ग्राम पंचायतों के ताले भी नहीं खुल रहे है।


सक्षम कर्मचारी के बाद भी अतिरिक्त कार्यभार का ड्रामा
पंचायतीराज विभाग ने 17 मई को ग्राम पंचायतों के रिक्त ग्राम विकास अधिकारियों के पदों का चार्ज पड़ौसी ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी को दे दिया है। जबकि कनिष्ठ सहायक व ग्राम विकास अधिकारियों के पद समकक्ष है। इस व्यवस्था से उल्टा सरकार पर वित्तिय भार पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि हर महीने सरकार को 8 0 लाख रुपए अतिरिक्त खर्च करने होंगे।


मंत्रालयिक कर्मचारियों का धरना
झुंझुनूं. पंचायत समिति के आगे मंत्रालयिक कर्मचारियों का धरना शुक्रवार को जारी रहा। 11 जून को जयपुर कूच के लिए जिले के सभी पंचायती राज मंत्रालयिक कर्मचारियों ने संकल्प पत्र भरे।धरना देने वालों में जिलाध्यक्ष राकेश बराला, कोषाध्यक्ष प्रमोद चोपड़ा, राजकुमारी, सुमन, सुनिता देवी, अर्चना, एकता, सुनीता मीणा, कुसुम सैनी, राजबाला आदि उपस्थित रहे।&मंत्रालयिक कर्मचारियों की मांगों पर सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार कर रही है। जल्द ही अगले दौर की वार्ता की जाएगी। जिससे सभी को राहत मिल सके। -राजेन्द्र राठौड़, पंचायतीराज मंत्री


इनका कहना है..
सरकार को मंत्रालयिक कर्मचारियों की हड़ताल का तत्काल समाधान करना चाहिए। हड़ताल की वजह से कितने लोग परेशान हो रहे हैं। –कमलेश शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष


प्रदेश कार्यकारिणी के अनुसार आंदोलन जारी रहेगा। सरकार की नीतियों के कारण कर्मचारियों को आंदोलन का सहारा लेना पड़ता है। झुंझनूं जिले के सभी 380 कर्मचारी आंदोलनरत हैं। -राकेश बराला, जिलाध्यक्ष, मंत्रालयिक कर्मचारी संघ, झुंझुनूं

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