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काम के बदले अनाज योजना का श्रेष्ठ उदाहरण देखना है तो चले आइए झुंझुनूं के बिरोल गांव में

locationझुंझुनूPublished: Oct 12, 2020 11:06:47 pm

Submitted by:

Rajesh

तब उन्होंने गांव के बाहर स्थित जमीन पर पक्का तालाब बनवाने के लिए ग्रामीणों से मजदूरी करने के लिए कहा। यहां पर पक्के तालाब के निर्माण कार्य की मजदूरी के रूप में ग्रामीणों को उस दौरान अनाज दिया गया था। पक्के तालाब के पास बालाजी का मंदिर भी उस दौरान ही बनाया गया था। यह पक्का तालाब कैलाशपुरी धाम परिसर में आज भी मौजूद है।

काम के बदले अनाज योजना का श्रेष्ठ उदाहरण देखना है तो चले आइए झुंझुनूं के बिरोल गांव में

काम के बदले अनाज योजना का श्रेष्ठ उदाहरण देखना है तो चले आइए झुंझुनूं के बिरोल गांव में

#my village birol

नवलगढ़. यदि आपको काम के बदले अनाज योजना का श्रेष्ठ उदाहरण देखना है तो राजस्थान के झुंझुनूं जिले की नवलगढ़ तहसील के बिरोल गांव में चले आइए। गांव का सबसे पुराना मंदिर ठाकुरजी का है। मंदिर के संत अवधकिशोर के अनुसार बताया जाता है कि वर्षों पूर्व गांव में अकाल पड़ा था। उस दौरान गांव के लोग भूख से मरने लगे थे। तब ठाकुरजी मंदिर के संत आत्माराम ने गांव के लोगों को मंदिर में पड़ा अनाज ले जाने के लिए कहा। लेकिन गांव के लोगों ने मंदिर का अनाज ले जाने से मना कर दिया। तब उन्होंने गांव के बाहर स्थित जमीन पर पक्का तालाब बनवाने के लिए ग्रामीणों से मजदूरी करने के लिए कहा। यहां पर पक्के तालाब के निर्माण कार्य की मजदूरी के रूप में ग्रामीणों को उस दौरान अनाज दिया गया था। पक्के तालाब के पास बालाजी का मंदिर भी उस दौरान ही बनाया गया था। यह पक्का तालाब कैलाशपुरी धाम परिसर में आज भी मौजूद है।
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नवलगढ़-गुढ़ागौडज़ी मार्ग पर बसे बिरोल गांव की आबादी करीब 6000 है। वहीं मकान 1500 है।
नवलगढ़ उपखण्ड मुख्यालय से तीन किमी दूर गांव बिरोल की बसावट करीब 600 वर्ष पहले हुई थी। गांव के सेवानिवृत्त पोस्टमास्टर हीरालाल राड़, प्रहलाद मास्टर आदि ने बताया कि वैसे तो गांव के नामकरण को लेकर कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है । लेकिन कहा जाता है कि वर्षों पूर्व गांव में बेरवाल गौत्र के जाट बसे थे। इस गौत्र के नाम पर ही गांव बिरोल का नाम पड़ा था। हालांकि वर्तमान में इस गौत्र के जाट अब गांव में नहीं है।
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आस्था का केन्द्र हैं कैलाशपुरी धाम
गांव के पूर्व सरपंच जयसिंह राड़ ने बताया कि 1983 में परम तपस्वी संत नीकूदास गांव बिरोल में आए थे। पक्के तालाब के पास बने बालाजी के मंदिर के निकट उन्होंने अपना धूणा रमाया। कैलाशपुरी धाम न सिर्फ बिरोल गांव बल्कि, नवलगढ़, बाय, कोलसिया, झाझड़ समेत आस-पास व दूर दराज के गांवों के लोगों के लिए भी आस्था का केन्द्र है। गांव के रणवीर राड़, गोकुल राड़ आदि ने बताया कि संत नीकूदासजी की महाशिवरात्रि पर पुण्यतिथि पर कई धार्मिक आयोजन होते हैं। उस दौरान यहां पर भरने वाले मेले में काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं। इस मौके पर कवि सम्मेलन व राज्य स्तरीय वॉलीबाल प्रतियोगिता भी होती है। इसके अलावा कैलाशपुरी धाम में भगवान शिव व बालाजी के मंदिर भी है। कैलाशपुरी धाम में संत नीकूदास की समाधि भी बनी हुई है। कैलाशपुरी धाम में आम दिनों में भी भक्तों तांता लगा रहता है।
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ये है शख्सियत
्रगांव के सीताराम झाझडिय़ा चिकित्सक है। सुरेश कुमार राड़ सीआरपीएफ में इंस्पेक्टर के पद पर अलीगढ़ में सेवा दे रहे हैं। इसके अलावा गांव के अनेक युवा फौज व पुलिस में सेवा देकर अपने गांव का नाम रोशन कर रहे हैं। गांव के ही हीरालाल राड़ पोस्टमास्टर, सीताराम मीणा बैंक मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
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ये हैं गांव की समस्याएं
गांव के राजकीय उमावि की तरफ जाने वाले रास्ते पर ब्राह्मणों के मोहल्ले में नालियां नहीं बनी होने से घरों से निकलने वाला गंदा पानी आम रास्ते में जमा होता है।गांव में बने राजकीय उप स्वास्थ्य केन्द्र में पानी की सुविधा नहीं है। यहां पर आने वाले रोगी व स्टाफकर्मी पेयजल के लिए परेशान होते रहते हैं। करीब 6000 की आबादी वाले इस गांव में स्थित राजकीय उप स्वास्थ्य केन्द्र को वर्षों से क्रमोनति का इंतजार है। गांव के सबसे पुराने ठाकुरजी के मंदिर के सामने गंदे पानी का तालाब सा बना हुआ है। ऐसे में मंदिर में आने का एक तरफ का रास्ता बंद पड़ा हुआ है।

(ग्राउंड रिपोर्ट महावीर टेलर)
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